तन से, मन से, वचन से, करो सदा सत्कर्म ।
सब धर्मों का सार है, यही है मानव-धर्म ।।
कपट, क्रोध, छल, लोभ से रहित प्रेम-व्यवहार ।
सबसे मिल-जुलकर रहो, सकल विश्व–परिवार ।।
कर्म वही जिनसे मिले, सदा जगत में मान !
जिनकी सब निंदा करें, उन्हें त्याज्य ही जान
विद्या-धन अद्भुत बहुत, खर्च करो बढ़ जाए ।
इस धन का धनवान तो, कीर्ति-शिखर चढ़ जाए ।।
समय बहुत अनमोल है, करो समय का ध्यान ।
हाथ गए फिर ना मिले. निकले तीर समान ।।
उद्यम ऐसा मीत है, प्रीत की रीत निभाए ।
कठिन असंभव काम को, संभव कर दिखलाए ।।
शिष्ट आचरण जो करे, करे प्रेम-व्यवहार ।
बैरी को अपना करे, उसका सद्व्यवहार ।।
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Answer:
sorry I don't no hindi pls forgive me