संसरणं कीदृशं जातम्?
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¿ संसरणं कीदृशं जातम् ?
➲ संसरणं कठिन जातम्।
✎... शतशटकीयानं कज्जलमलिनं धूम्र मुञ्ञति। वाष्पमालायानम् ध्वानम् वितरन्ति संधावति। हि यानानाम् अनन्ताः पंङ्तयः, संसरण कठिनम्, शुचि पर्यावरणम्।
अर्थात महानगरों में सैकड़ों मोटर गाड़ियां मलिन यानि काजल के समान काला धुआँ छोड़ती है। वाहनों की ये पंक्तियां रेलगाड़ियों की दिखाई देतीं हुई कोलाहल करती हुई दौड़ती रहती हैं। इन वाहनों की अनंत पंक्तियां हैं, इसके कारण आम आदमी का चलना भी कठिन हो गया है। इसलिए जरूरी है कि पर्यावरण शुद्ध रहना चाहिए।
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