1. जैसा कि कहा जा चुका है, मूर्ति संगमरमर की थी।टोपी की नोक से कोर्ट के दूसरे बटन
तक कोई 2 फुट ऊंची। जिसे कहते हैं बस्टा और सुंदर थी। नेताजी सुंदर लग रहे थे।
कुछ-कुछ मासूम और कमसिन। फौजी वर्दी में। मूर्ति को देखते ही 'दिल्ली चलो' और
तुम मुझे खून दो... वगैरह याद आने लगती थी। इस दृष्टि से यह सफल और सराहनीय
प्रयास था। केवल एक चीज की कसर थी जो देखते ही खटकती थी। नेताजी की आंखों
पर चश्मा नहीं था। यानी चश्मा तो था, लेकिन संगमरमर का नहीं था।एक सामान्य और
सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला प्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था।हालदार साहब जब
पहली बार इस कस्बे से गुजरे और चौराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित
किया और उनके चेहरे पर एक को कौतुकभरी मुस्कान फैल गई। यह आईडी अभी ठीक
है। मूर्ति पत्थर की, लेकिन चश्मा रियल!"
(क) मूर्ति किसकी थी?
(ख) मूर्ति कितनी ऊंची थी?
(ग) हालदार साहब की बातों में क्या छुपा था?
(घ) गदयांश का उचित शीर्षक क्या?
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Answer:
1 .Subhash Chandra Bose
2 .2 फुट ऊंची।
3. desh bhakti
4 . Netaji ka Chashma