ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
2. बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
3. चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
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इन पंक्तियों में मीरा ने श्रीकृष्ण से जन-जन की पीड़ा हरने का आग्रह करती हैं| वे कहती हैं कि जिस प्रकार आपने द्रौपदी के वस्त्रों को बढ़ाकर भरी सभी में उसकी लाज बचाई, अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रुप धारण करके हिरण्यकश्यप को मारा उसी तरह आप मनुष्यों की पीड़ा भी हरें|
इन पंक्तियों में मीरा ने श्रीकृष्ण के भक्तों के प्रति दयामय रूप का वर्णन किया है| ब्रज और राजस्थानी भाषा का प्रयोग हुआ है| 'हरि' शब्द में श्लेष अलंकार है। भाषा में कोमलता लाने के लिए कुछ शब्दों में परिवर्तन किया गया है जैसे - शरीर का सरीर| गेयात्मक शैली का प्रयोग हुआ है|