10. अंसुवन जल सींची-सींची, प्रेम -बेलि
बोयी। अब त बेलि फैली गयी, आनंद-
फल होयी। उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार
है-
O (क) मानवीकरण, उत्पेंक्षा, उपमा
O (ख) श्लेष, उपमा, रूपक
O (ग) यमक, श्लेष, अनुप्रास
O (घ) रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास
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10. अंसुवन जल सींची-सींची, प्रेम -बेलि
बोयी। अब त बेलि फैली गयी, आनंद-
फल होयी। उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार
है-
O (क) मानवीकरण, उत्पेंक्षा, उपमा
O (ख) श्लेष, उपमा, रूपक
O (ग) यमक, श्लेष, अनुप्रास
O (घ) रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास
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सही विकल्प होगा...
✔ रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास
स्पष्टीकरण ⦂
अंसुवन जल सींचि-सीचि, प्रेम-बेलि बोयी।
अब तो बेलि फैलि गई, आनंद फल होई।।
इन पंक्तियों में रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश और अनुप्रास अलंकार हैं।
‘सींचि सींचि’ में ‘पुनरुक्ति-प्रकाश अलंकार’ है। ‘प्रेम-बेलि’ और ‘आनंद-फल’ में ‘रूपक अलंकार’ है। प्रेम बेलि बोयी। अब त बेलि फैल गयी में अनुप्रास अलंकार है।
‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार में पुनरुक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बनता है, पुनः + उक्ति। यानि शब्दो का दोहराव। पुनरुक्ति अलंकार में जब किसी काव्य में कोई शब्द लगातार दो बार दोहराया जाता है। जब किसी काव्य में प्रभाव लाने के लिए शब्दों को दोहराया जाता है तो वहां ‘पुनरुक्ति अलंकार’ की उत्पत्ति होती है।
रूपक अलंकार की परिभाषा के अनुसार जहां उपमेय को उपमान के रूप में बताया जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
अनुप्रास अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य रचना में किसी वर्ण या शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो तो वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।