वर्तमान में हमें अपने लिए क्या करना है
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Answer:
भविष्य को सुधारने के लिए व्यक्ति काे अपने वर्तमान को सुधारने के प्रयास करने होंगे।
बीते समय को भूलकर आगे के बारे सोचना चाहिए। वर्तमान को सुधारने के लिए सोच बड़ी रखनी चाहिए। हमें अपने जीवन को मधुरमय बनाने के प्रयास करने चाहिए।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए जीवन में हर पड़ाव आता है। बुढ़ापे में वन की ओर जाना चाहिए। धर्म, आराधना और सत्संग आदि से जुड़ना चाहिए। जीवन का सूरज ढलने से पहले, फूल मुरझाने से पहले, दीपक बुझने से पहले, अंधेरा होने से पहले, व्यक्ति को अपना जीवन समझ लेना चाहिए। इसलिए समय रहते, बुढ़ापा आने से पहले जीवन को ऐसा बनना चाहिए कि मरने के बाद लोगों के लिए प्रेरणा बनें। उन्होंने कहा जीवन विविध रंगों का एक संगम है। हमारा जीवन एक चित्र के सामान है। जीवन एक ऐसा चित्र है जिसका चित्रकार इंसान स्वयं है। जीवन में जन्म लेना, बचपन जीना, युवावस्था, प्रौढ़ा अवस्था व वृद्धा अवस्था आदि मोड़ आते हैं। जिस प्रकार सूर्य उदय होता और शाम होते-होते अस्त होने की ओर ढलता है। उसी प्रकार 40 साल की उम्र के बाद इंसान वृद्धा अवस्था की ओर अग्रसर होता है। जब इंसान 55 साल का होता है। उसमें बचपन के गुण आना प्रारंभ हो जाते हैं। इसी तरह बचपन व पचपन दोनों भरपूर होने चाहिए।
पारणा आज : खरतरगच्छ चातुर्मास व्यवस्था समिति के मदन लाल धारीवाल ने बताया कि सोमवार को प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ रही। उन्होंने बताया कि मंगलवार को सिद्धि तप, श्रेणी तप व 150 गणधर तप के तपस्वियों का पारणा आदिनाथ भोजन वाटिका में संपन्न होगा। समिति द्वारा अनुभव स्मारक ट्रस्ट के ट्रस्टी जगदीश चन्द्र भंसाली का बहुमान किया गया।
जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल पाओगे : चातुर्मासिक प्रवचनमाला के दौरान सोमवार को स्थानीय जैन न्याति नोहरा में जैन साध्वी सुरंजना ने कहा कि बबूल के बीज से आम नहीं उग सकते। जो बोओगे, वो ही काटोगे। इस प्रकार जैसी करनी वैसी भरनी। अर्थात जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल पाओगे। व्यक्ति यदि अपनी करनी को ठीक कर पाप-पुण्य को समझ लें तो जीवन चक्र बदल जाएगा। पापी कहलाना पसंद नहीं है तो पाप करना क्यों पसंद है। पाप करने में विचार नहीं करते हो, लेकिन अच्छे काम में सौ बार सोचते हो। तुम्हें दूसरों का पाप, पाप और खुद का पाप मजबूरी लगता है। पाप से डरो। जो पाप से डरेगा, वही पाप से बचेगा