शाहजहाँपुर में हुए दंगों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते अगस्त माह में हुए शाहजहापुर दंगे के आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने एवं दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की विवेचना में सामान्य तौर पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होता, विशेष स्थिति में ही कोर्ट विवेचना में हस्तक्षेप कर सकती है। इस मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि संज्ञेय अपराध कारित नहीं हुआ है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति डीके सिंह की खंडपीठ ने राहुल शुक्ल उर्फ राम प्रवेश शुक्ल व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
मामले के तथ्यों के अनुसार शाहजहांपुर में दो समुदाय के लोगों के बीच विवाद के बाद दंगा भड़क गया। बवाल एवं तोड़फोड़ हुई जिसमें कई पुलिस वाले व नागरिक घायल हुए और सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। दंगे की शुरुआत एक छोटी से घटना को लेकर हुई। एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़खानी हुई थी। जिसे लेकर बवाल बढ़ गया जिसने दंगे का रूप ले लिया। दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। छेड़खानी की भी एफआईआर दर्ज है।
पुलिस विवेचना कर रही है। याचियों का कहना था कि उन्हें झूठा फंसाया गया है, वे निर्दोष हैं। याचियों ने राजेश जैन व 10 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। सिख गुरु बाबा अमरीक सिंह के खिलाफ भी दंगे का आरोप लगाया गया है। हाईकोर्ट में कहा गया था कि केस फर्जी होने के नाते रद्द किया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी से लगता है कि अपराध कारित हुआ है, जिसकी विवेचना में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है ।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते अगस्त माह में हुए शाहजहापुर दंगे के आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने एवं दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की विवेचना में सामान्य तौर पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होता, विशेष स्थिति में ही कोर्ट विवेचना में हस्तक्षेप कर सकती है। इस मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि संज्ञेय अपराध कारित नहीं हुआ है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति डीके सिंह की खंडपीठ ने राहुल शुक्ल उर्फ राम प्रवेश शुक्ल व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
मामले के तथ्यों के अनुसार शाहजहांपुर में दो समुदाय के लोगों के बीच विवाद के बाद दंगा भड़क गया। बवाल एवं तोड़फोड़ हुई जिसमें कई पुलिस वाले व नागरिक घायल हुए और सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। दंगे की शुरुआत एक छोटी से घटना को लेकर हुई। एक नाबालिग लड़की के साथ छेड़खानी हुई थी। जिसे लेकर बवाल बढ़ गया जिसने दंगे का रूप ले लिया। दोनों पक्षों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। छेड़खानी की भी एफआईआर दर्ज है।
पुलिस विवेचना कर रही है। याचियों का कहना था कि उन्हें झूठा फंसाया गया है, वे निर्दोष हैं। याचियों ने राजेश जैन व 10 अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। सिख गुरु बाबा अमरीक सिंह के खिलाफ भी दंगे का आरोप लगाया गया है। हाईकोर्ट में कहा गया था कि केस फर्जी होने के नाते रद्द किया जाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी से लगता है कि अपराध कारित हुआ है, जिसकी विवेचना में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं है ।
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