धव्नि कि आत्मकथा। 150 - 200 शब्दों मे लिखिए।
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मैं तो इस संसार में एक महान शक्ति हूँ । दुनिया में शक्ति बहुत रूपों में प्रकट होती है । वे हैं आकाश में सूरज का प्रकाश (रोशन), ध्वनि, बिजली, मागनेट वाली अयस्कांत आकर्षण शक्ति, हवा चलने की शक्ति, समुंदर की लहरों की शक्ति, भूमि की आकर्षण शक्ति । मैं ध्वनि हूँ और शब्दों और आवाज के रूप में सब को सुनाई पड़ती हूँ ।मनुष्य और सब जानवरों के इंद्रिर्यों में दो कानों से मैं सब को सुनाई पड़ती हूँ । पेड़ और पौधे भी मुझे सुन सकते हैं । मैं अदृश्य रूप में हवा में , पानी में, और सब छीजो मे लहराते हुए कानों तक पहुंचता हूँ । मैं दिखाई नहीं देती, सिर्फ सुनाई पढ़ती हूँ। कुछ जानवर सिर्फ मेरी शक्ति से अपने परिसर को पहचानते हैं। कुछ जानवर उनके आवाजों से अपने लोगों कों पहचानते हैं ।