न्यायप्रियता पर अनुच्छेद 150 शब्दों में
Share
Sign Up to our social questions and Answers Engine to ask questions, answer people’s questions, and connect with other people.
Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people’s questions & connect with other people.
Answer:
एक था राजा। एक सुबह उसने देखा, कि ढेर सारे प्रजाजन उसके राजमहल के आगे गुहार कर रहे हैं। राजा यह देख कर आश्चर्यचकित, द्रवित हुआ कि उन लोगों के चेहरे निस्तेज थे, व पैर टेढ़े- मेढ़े अशक्त थे।
राजा ने अपने महामंत्री को तुरन्त बुलवाया और कहा, मंत्रिवर, मैं इनकी दशा देखकर बहुत दुखी हूँ। राजकोष से तुरन्त पौष्टिक आहार एवं औषधियों का प्रबंध किया जाए ताकि इनके पैर बलिष्ठ हो सकें, व चेहरे तेजस्वी।
मंत्री राजा के कान के पास जा फुसफुसाया, दुहाई हो महाराज की, यदि इनके पैर बलिष्ठ हो गए, और शरीर स्वस्थ हो गए, तो यह इतना झुक कर हमें प्रणाम नहीं करेंगे।
राजा यह सुनकर अपनी पनेरी मूँछों के बीच मुस्कराया, और उपस्थित प्रजाजनों को नि:शुल्क बैसाखियाँ प्रदान कर दी। राजा की जय-जयकार से महल की दीवारें हिल गईं।
साभार:लघुकथा.कॉम