प्र.2 निम्नलिखित पंक्तियों का संदर्भ व प्रसंग सहित अर्थ लिखो।
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी।
बूढ़े मारत में भी आई. फिर से नई जवानी श्री।।
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।।
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
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सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी।
बूढ़े मारत में भी आई. फिर से नई जवानी श्री।।
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।।
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
प्रसंग : यह पंक्तियां ‘सुभद्रा कुमारी चौहान’ द्वारा रचित ‘झांसी की रानी’ कविता से संबंधित हैं इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत की दशा तथा रानी लक्ष्मी बाई के संघर्ष व वीरता का वर्णन किया है।
✎... कवयित्री कहती हैं कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के अत्याचारों इस कदर बढ़ गए थे कि जनता ही नहीं राजा रजवाड़े तक अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त हो चुके थे उस समय अंग्रेजों के प्रति अलग-अलग राय राजे रजवाड़ों में धीरे-धीरे क्रोध उत्पन्न हो रहा था और अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए सभी राजा लोग एकजुट होने का प्रयास कर रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे इस पूरे भारत में वापस जवानी भर आई हो और अंग्रेजों से लड़ने के लिए उनकी भुजाएं फड़क रही हो और फिर सभी भारत वासियों ने अंग्रेजों को भगाने का कृत संकल्प लिया।
1857 में सेनानियों ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया। रानी लक्ष्मीबाई सभी राजाओं ने अपनी तलवारों को म्यान से मिलाकर युद्ध का शंखनाद कर दिया कवयित्री कहती हैं। उस समय हमने बुंदेले हरबोलों के मुंह से यही कहानी सुनी थी कि अट्ठारह सौ सत्तावन के युद्ध में एक ऐसी वीरांगना थी, जिसने स्त्री होते हुए भी पुरुषों से भी अधिक बढ़ चढ़कर शौर्य और वीरता बड़े कारनामे दिखाए थे ।वह वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी, जो अंग्रेजों से पुरुषों की भांति लड़ी
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