2) परिश्रम का जीवन में क्या महत्व हे?
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Answer:
परिश्रम का जीवन में अत्यंत महत्व है। इसे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता बतलाते हुए,अर्थात कोई भी कार्य केवल मनोरथ से ही पूरे नहीं हो जाते हैं। अपितु उनको पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी बहुत आवश्यक होती है सिंह के मुंह में पशु स्वम् प्रवेश नहीं कर लेते हैं इसके लिए तो सिंह को विशेष प्रयास करना ही पड़ता है।
श्रम का महत्व: श्रम का महत्व निश्चय ही असीमित है। परिश्रमी व्यक्ति संभव से संभव से असंभव से संभव कर सकते हैं। सर्वथा समर्थ होता हैं। इतिहास के आदिकाल से परिश्रम के महत्व को सभी स्वीकारते रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि श्रम से ना केवल लाभ प्राप्त होता है बल्कि सुयश भी। इससे सुख वैभव ओर आनंद प्राप्त होता ही है, साथ ही परिश्रमी व्यक्ति समाज और राष्ट्र की प्रगति का बहुत बड़ा आधार बन जाता है। उससे समाज राष्ट्र को अपेक्षित दिशा निर्देश और सहयोग प्रेरणा प्राप्त होती है। इस प्रकार हम आए दिन यह देखते हैं कि श्रम- साधक अपनी कठिन तप साधना के द्वारा मनवांछित यश और वैभव को प्राप्त करके अपने आसपास के समाज को प्रेरित करता है। जिस तरह एक निर्धन छात्र अपने घोर परिश्रम से न केवल परीक्षा में अव्वल अंकों को हासिल करता है, अपितु उच्चपद पर पहुँच करके अपने परिवार-समाज के मस्तक को भी ऊँचा करके सबका आदर्श बनता है।
सच्चा परिश्रमी व्यक्ति यदि असफल हो जाए तो उसे पश्चाताप नहीं होता उसके मन में इतना संतोष अवश्य रहता है कि उसमें जितनी अधिक शक्ति थी उसने उतना प्रयत्न किया उसका फल देना या ना देना तो ईश्वर के ऊपर था। मनुष्य का कर्तव्य तो केवल कार्य करना है परिश्रमी व्यक्ति के विपरीत आलसी व्यक्ति होता है। वह अपनी असफलता का दोष ईश्वर को देता है लेकिन वह नहीं समझ पाता है कि भाग्य भी परिश्रमी व्यक्ति का साथ देता है। ऐसा इसलिए कि भाग्य बिना परिश्रम के साथ नहीं देता इसलिए भाग्य तो पुरुषार्थ परिश्रम के अनुसार बनता है इस संदर्भ में कविवर श्रीरामधारी सिंह दिनकर ने स्पष्ट रूप में लिखा है।
” प्रकृति नहीं डरकर झुकती है, कभी भाग्य के बल से,
सदा हारती वह मनुष्य के उधम से ,श्रम जल् से”।
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परिश्रम का जीवन बोहोत महत्वपूर्ण हैं क्यो की हैम मेहनत नही करेंगे तो जीवन कैसे चलेगा