प्रश्न 2 निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर विकल्पों से चुनकर लिखिए।
प्रातः समीर से ही अधीर, छू कर पल-पल उल्लसित तीर कुसुमावलि- सी पुलकित महान।
संध्या से पाकर रुचिकर रंग, करती थी रात सुरचाप भंग
हिलती नव तरु-दल के समान ।
कर-तल गत कर नभ के विभूति
पाकर राशि से सुषभानूभूति
ताराबलि-सी मृदु दीप्तिमान ।
है मुदित है कभी खिन्न, है कभी मिलि है
है मुदित है कभी भिन्न
हैं एक सूत्र में बंधे प्राण ।
1) तारावलि से क्या तात्पर्य है?
क) तारों की पंक्ति
ख) तारों की चमक
2) हिलती हुई लहरें लग रही है
क) नए-नए फूलों की तरह
ख) नए-नए पौधों के समूह के समान
3) शाम और प्रसन्नता के पर्यायवाची होंगे?
क) संध्या व सुरचाप
ख) संध्या व मुदित
4) मुदित का विलोम हो सकता है?
क) खिन्न
ख) भिन्न
5) इस काव्यांश को क्या शीर्षक दिया जा सकता है?
क) लहरों की सुंदरता
ख) प्रातः कालीन दृश्य
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Explanation:
Dolumn B
Thyroxine
Insulin
pituitary gland
a) Thyroid gland
37 Adrenal gland
u
Pancuas
XX Chromosomes
. Xy chromosomes
Master gland
Adrenalin
Bay