जीवन को बेहतर बनाने के लिए नई पीढ़ी का योगदान 2018 में चेन्नई के दो भाइयों 17 साल के जय और 13 वर्षीय प्रीत अश्वनी शहर के एक वृद्धाश्रम में गए। वहां वे बौद्धिक रूप से अक्षम महिलाओं के एक समूह से मिले। भाइयों ने देखा कि इन महिलाओं को व्यवसायिक कौशल में प्रशिक्षण मिला हुआ है और यह सिलाई का काम बखूबी जानती हैं। वह इन महिलाओं के लिए कुछ करना और उनके सिलाई के कौशल को इस्तेमाल करने में मदद करना चाहते थे। वे यह भी जानते थे कि तमिलनाडु सरकार 1 जनवरी 2019 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने वाली है। उन्होंने इस पर मंथन किया और फिर पर्यावरण के लिए अपनी चिंता, प्लास्टिक बेन और वृद्ध आश्रम के महिलाओं की मदद करने के अपने फैसले को एक साथ मिला दिया। सबसे पहले उन्होंने सस्ता कपड़ा तलाशना शुरू किया लेकिन उन्हें यह सभी जगह महंगा ही मिला। तब उन्हें एक आइडिया आया। उन्होंने कपड़े के थैले बनाने के लिए होटलों से पुराने चादर इकट्ठा करने का फैसला लिया। इस पहल की जानकारी सब तक पहुंचाने के लिए भाइयों ने ना सिर्फ सोशल मीडिया का सहारा लिया बल्कि अपने स्कूल और आस-पड़ोस के दोस्तों से भी बात की। जल्दी शहर के कई होटल मदद करने के लिए उनसे खुद ही संपर्क करने लगे ।होटलों के चादर सिर्फ नाम के लिए पुराने होते थे ।हर होटल ने इस बात को सुनिश्चित किया कि भेजने से पहले चादर था और इस्त्री किए जाएं। सिलाई के खर्च के लिए दोस्तों और परिवार ने मदद की और वहां से पैसा मिल गया। आकार के आधार पर हर थैले को बनाने की लागत 3 से 5 रुपये आई और इनसे जो भी पैसा इकट्ठा हुआ उसे वृद्धाश्रम की महिलाओं को दे दिया गया। अब तक ये भाई एक लाख से ज्यादा थैले मुफ्त में बांट चुके थे हैं और जागरूकता बढ़ाने के लिए उन्होंने 2020 में भी ऐसा ही करने का फैसला लिया है।
Q1) अब तक यह भाई कितने कपड़े के थैले मुफ्त में
बांट चुके हैं?
20,000
50,000
1,00,000
5,00,000
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Answer:
pls mark as brainliest
Explanation:
answer is option a 20,000