खण्ड ग
21. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दें
भारत में हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य देश को खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बनाना था। लेकिन इस बात की आशंका किसी
को नहीं थी कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अंधाधुंध इस्तेमाल न सिर्फ खेतों मेंए बल्कि खेतों से बाहर मंडियों तक
में होने लगेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग खाद्यान्न की गुणवत्ता के लिए सही नहीं
है। लेकिन जिस रफ्तार से देश की आबादी बढ़ रही है। उसके मद्देनजर फसलों की अधिक पैदावार जरूरी थी। समस्या सिर्फ
रासायनिक खादों के प्रयोग की ही नहीं है। देश के ज़्यादातर किसान परंपरागत कृषि से दूर होते जा रहे हैं।
दो दशक पहले तक हर किसान के यहाँ गाय, बैल और भैंस खूटों से बँधे मिलते थे। अब इन मवेशियों की जगह ट्रैक्टर ट्राली ने
ले ली है। परिणामस्वरूप गोबर और घूरे की राख से बनी कंपोस्ट खाद खेतों में गिरनी बंद हो गई। पहले चैतबैसाख में गेहूँ की
फसल कटने के बाद किसान अपने खेतों में गोबर, राख और पत्तों से बनी जैविक खाद डालते थे। इससे न सिर्फ खेतों की उर्वरा
शक्ति बरकरार रहती थी, बल्कि इससे किसानों को आर्थिक लाभ के अलावा बेहतर गुणवत्ता वाली फसल मिलती थी।
क हमारे देश में हरित क्रांति का उद्देश्य क्या था?
ख. खाद्यान्नों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किनका प्रयोग सही नहीं था?
ग विशेषज्ञ हरित क्रांति की सफलता के लिए क्या आवश्यक मानने लगे और क्यों?
घ हरित क्रांति ने किसानों को परंपरागत कृषि से किस तरह दूर कर दिया
ड हरित क्रांति का मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर क्या असर हुआ? इसे समाप्त करने के लिए क्या क्या उपाय करना चाहिए
Is VERY important....give this question ans very aurgent...
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क हमारे देश में हरित क्रांति का उद्देश्य क्या था?
ख. खाद्यान्नों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किनका प्रयोग सही नहीं था?
ग विशेषज्ञ हरित क्रांति की सफलता के लिए क्या आवश्यक मानने लगे और क्यों?
घ हरित क्रांति ने किसानों को परंपरागत कृषि से किस तरह दूर कर दिया
ड हरित क्रांति का मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर क्या असर हुआ? इसे समाप्त करने के लिए क्या क्या उपाय करना चाहिए
क. हरित क्रांति का मुख्य उद्देश्य देश को खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बनाना था।
ख.रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग खाद्यान्न की गुणवत्ता के लिए सही नहीं है।
ग फसलों की अधिक पैदावार जरूरी थी।
घ जिस रफ्तार से देश की आबादी बढ़ रही है। उसके मद्देनजर फसलों की अधिक पैदावार जरूरी थी। समस्या सिर्फ रासायनिक खादों के प्रयोग की ही नहीं है। देश के ज़्यादातर किसान परंपरागत कृषि से दूर होते जा रहे हैं।
ड पहले चैतबैसाख में गेहूँ की फसल कटने के बाद किसान अपने खेतों में गोबर, राख और पत्तों से बनी जैविक खाद डालते थे। इससे न सिर्फ खेतों की उर्वरा शक्ति बरकरार रहती थी।