आर्य समाज के पहले दो नियमों में ईश्वर के स्वरूप की व्याख्या
की गई है। तीसरे नियम में यह बताया गया है कि वेद क्या है और
उसके सम्बन्ध में हमारा कर्त्तव्य क्या है
।
pls help me understand this paragraph . It is in Hindi
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उसके सम्बन्ध में हमारा कर्त्तव्य क्या है
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Answer:
1.अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड।
2.अमृत- सुधा, अमिय, पीयूष, सोम, मधु, अमी।
3.असुर- दैत्य, दानव, राक्षस, निशाचर, रजनीचर, दनुज, रात्रिचर।
4.अतिथि- मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहूना।
5.अनुपम- अपूर्व, अतुल, अनोखा, अदभुत, अनन्य।
6.अर्थ- धन्, द्रव्य, मुद्रा, दौलत, वित्त, पैसा।
7.अश्व- हय, तुरंग, बाजी, घोड़ा, घोटक।