प्र० (ख)
का
प्र 26. निम्नलिखित पधांश को पढ़कर उसके निचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
तुम हो धरती के पुत्र, न हिम्मत हारो ।
श्रम की पूँजी से अपना काज सवारो
श्रम की सीपी में भी वैभव दुलता है
त्ब स्वाभिमान का दीप, स्वयं जलता है।
मिट जाता है दिप, दैत्य स्वयं ही क्षण में
छा जाती है नवदीप्त धरा के कण में ।
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chup and thanks for the points
Answer:
isme apko kya help chaiye