निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाकर वाक्य फिर से लिखिए-(क) प्रधानाचार्य ने पूछा किन-किन कमरों के शीशे और खिड़कियाँ तोड़े गए हैं सुनकर वह चुपचाप खड़ा रहा उसने कोई उत्तर नहीं दिया (च) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध ने प्रिय प्रवास महाकाव्य की रचना की (छ) गुरु जी ने कहा अनुशासित विद्यार्थी स्वयं को नियंत्रित करके आने वाली विपरीत से विपरीत परिस्थितियों को भी नियंत्रित करता है वही जीवन में सफलता के सोपानों पर चढ़ता है (ज) शेक्सपियर का यह कथन विद्यार्थियों को याद रखना चाहिए जो परिश्रम के बल से थककर चकनाचूर नहीं होता उसे विद्या नहीं आती (झ) संस्कृत के एक श्लोक का भाव है उद्यम से ही मनोरथ पूरे होते हैं केवल कल्पना करने से नहीं सोए हुए सिंह के मुख में मृग कभी अपने आप प्रवेश नहीं करता है (6)वाह ताजमहल तेरी क्या शान है ऐसा कोई भवन आकाश पाताल धरती पर नहीं है
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निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम-चिह्न लगाकर वाक्य फिर से लिखिए-(क) प्रधानाचार्य ने पूछा किन-किन कमरों के शीशे और खिड़कियाँ तोड़े गए हैं सुनकर वह
Answer:
-(क) प्रधानाचार्य ने पूछा ''किन-किन कमरों के शीशे और खिड़कियाँ तोड़े गए हैं'' सुनकर वह चुपचाप खड़ा रहा उसने कोई उत्तर नहीं दिया|
(च) अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध ने प्रिय 'प्रवास महाकाव्य' की रचना की|
(छ) गुरु जी ने कहा, ''अनुशासित विद्यार्थी स्वयं को नियंत्रित करके आने वाली विपरीत से विपरीत परिस्थितियों को भी नियंत्रित करता है,वही जीवन में सफलता के सोपानों पर चढ़ता है''|
(ज) शेक्सपियर का यह कथन विद्यार्थियों को याद रखना चाहिए ''जो परिश्रम के बल से थककर चकनाचूर नहीं होता उसे विद्या नहीं आती''|
(झ) संस्कृत के एक श्लोक का भाव है ''उद्यम से ही मनोरथ पूरे होते हैं केवल कल्पना करने से नहीं,सोए हुए सिंह के मुख में मृग कभी अपने आप प्रवेश नहीं करता है''|
(6)वाह! ताजमहल तेरी क्या शान है ऐसा कोई भवन आकाश पाताल धरती पर नहीं है|