कुंडलियाँ
लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग।
गहरि, नदी, नारी जहाँ, तहाँ बचावै अंग।।
तहाँ बचावे अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै।
दुश्मन दावागीर, होयँ तिनहूँ को झारै।।
कह 'गिरिधर कविराय' सुनो हो धूर के बाठी।।
सब हथियार न छाँड़ि, हाथ महँ लीजै लाठी।। 1।।
इस पद का अर्थ बताए।
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kundaliya by girdhar kaviray
Explanation:
दिया गया प्रश्न मारी हिंदी की पाठ्यपुस्तक के पाठ गिरधर की कुंडलियां से लिया गया है।
लाठी का उपयोग हम सदर संकट के समय में करते हैं
लाठी हमारी कई प्रकार से सहायता करती है जैसे कि गहरी नदी और नालों को पार करते समय यह काफी मददगार साबित होती है।
यदि कोई कुत्ता हमारे ऊपर से बढ़ता है तू खिलाड़ी से है कर लेते हैं और यदि कोई दुश्मन की कोशिश करता है तो लाठी के द्वारा हम अपना बचाव कर पाते हैं।