अभ्यास
उच्चारण एवं तुकांत शष्ट
साथी हाथ बढ़ाना
साथी हाथ बढ़ाना,
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया,
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया,
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें,
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें,
साथी हाथ बढ़ाना।
ek number upar de Gaye sab panktiyan mein aaye mote Kale shabdon ko jode mein ke roop mein likhen
1. bahe- rahen
2. badhaya- jhukaya
3. uthana- badhana
2.prashn 1 mein diye gaye uddharana kya Teri Kavita mein aaye char tukant shabdon ke jode likhen
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Explanation:
यह अभ्यास एक अकेले एक के बारे में नहीं दिया गया है यह एक कविता है इसमें बताया गया है कि हम साथी हाथ बढ़ाना है एक अकेला यदि थक जाए तो हमें सब के साथ मिलकर अपने काम को करना है किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना है या किसी के बारे में ऐसा नहीं सोचना है कि यदि वह ना काम करेगा तो हम भी ना काम करें यदि कोई थक जाता है तो हमें उस का साथ देना चाहिए और एक साथ एक साथ मिलकर हमें आगे बढ़ना चाहिए इससे यह होगा कि