आज आपने अपने सिपाठी की मदद की । इस बात पर दानंदिनी लिखिये ।
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Explanation:
हाँ अभी परसो की ही बात है
जब मैं परिवार सहित जम्मू माँ वैष्णो देवी गया हुआ था।माता के मंदिर तक पूर्ण चढ़ाई करने के बाद जब हम दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करने वाले थे तब मेरी पत्नी ने एक बुजुर्ग महिला को सीढ़ियों पर बैठे रोते देखा हम दोनों उनके पास गए और उनकी व्यथा का कारण पूछा
उन्होंने भरे गले से कहा कि बेटा मैं यहाँ खो गयी हु और पिछले आधे घण्टे से यंहा अपने बहु व बच्चों की प्रतीक्षा कर रही हूं।हमने उनसे उनकी बहू का नाम् व कपड़ो का रंग पूछा और उनको वही सीढ़ियों पर कुछ देर बैठे रहने के लिए बोला।कुछ देर इधर उधर तलाशने के बाद एक महिला हमे खड़ी दिखाई दी जब हमने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि हम यहाँ खो गए है फिर हमने उन्हें उन बुजुर्ग महिला तक पहुँचाया
हालांकि हमे इसमें 30–40 मिनट लगे परन्तु एक बिछड़े परिवार को वापिस मिलाकर मुझे बहुत अच्छा लगा।
कई बार हम जल्दी में और समय बचाने के चक्कर मे सहायता करने से कतराते है किंतु मेरा मानना है कि हो सकता है कि आपकी एक छोटी सी सहायता आपके समय से भी बहुमूल्य हो।
जय माता दी