संसार में अमरता ऐसे ही लोगों को मिलती है जो अपने पीछे कुछ आदर्श छोड़ जाते हैं जिनका स्थाई मूल्य होता है। अक्सर यही देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति सम्पन्न परिवार में बहुत कम पैदा होते हैं। अधिकांश ऐसे लोगों का जन्म मध्यम वर्ग के घरों में या गरीब परिवारों में ही होता है। इस तरह का पालन-पोषण साधारण परिवार में होता है और वे सादा जीवन बिताने के आदी हो जाते हैं।
मनुष्य में विनय, उदारता, कष्ट-सहिष्णुता, साहस आदि चारित्रिक गुणों का विकास अत्यावश्यक है। इन गुणों का प्रभाव उसके जीवन पर पड़ता है। ये गुण व्यक्ति के जीवन को अहंकारहीन, सादा व सरल बनाते हैं। सादा जीवन या सादगी का अर्थ है, रहनसहन, वेशभूषा और आचार-विचारों का एक निर्दिष्ट स्तर। जीवन में सादगी लाने के लिए दो बातें विशेष रूप से करणीय हैं, प्रथम कठिन परिस्थितियों में धैर्य को न छोड़ना, द्वितीय अपनी आवश्यकताओं को न्यूनतम बनाना।
सादगी का विचारों से भी घनिष्ठ सम्बन्ध है । सादा जीवन व्यतीत करना चाहिए और अपने विचारों को उच्च बनाए रखना चाहिए। व्यक्ति की सच्ची पहचान उसके विचारों और करनी से होती है। मनुष्य के विचार उसके आचरण पर प्रभाव डालते हैं और उसके विवेक को जाग्रत रखते हैं। विवेकशील व्यक्ति ही अपनी आवश्यकताओं को सीमित रखता है। उन्हें अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। सादा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति को कभी हतप्रभ होकर अपने आत्मसम्मान पर आँच नहीं आने देनी चाहिए। सादगी मनुष्य के चरित्र का अंग है, वह बाहरी चीज नहीं है।
महात्मा गाँधी सादा जीवन पसन्द करते थे और हाथ के कते और बुने खद्दर के मामूली वस्त्र पहनते थे, किन्तु अपने विचारों के कारण वे संसार में वंदनीय हो गए।
प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए। [1]
प्रश्न 2.
सादा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति में कौन-से दो गुण विशेष रूप से लक्षित होते हैं? [1]
प्रश्न 3.
वे कौन-से गुण हैं जो मनुष्य के चरित्र को उच्च व आदर्श बनाते हैं?
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