वे बाज़ार को प्रभावित करने वाले कारकों का अधिक सक्रियता से मुकाबला कर सकेंगे तथा अपनी वाणिज्यिक आवश्यकताओं की पूर्ति अधिक व्यावसायिक तरीके से कर सकेंगे। निजीकरण से सरकारी क्षेत्र के उद्यमों की सरकारी नियंत्रण भी सीमित होगा और इससे निजीकृत कंपनियों को अपेक्षित निगमित शासन की प्राप्ति हो सकेगी
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