रटंत शिक्षा प्रणाली को बदलने का आग्रह करते हुए शिक्षा अधिकािी को पत्र शलखखए
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मऊ : राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत सोमवार को राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में विज्ञान शिक्षकों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण आरंभ हुआ। इसमें प्रशिक्षकों ने विज्ञान शिक्षण को प्रयोग आधारित बनाने का परामर्श देते हुए पढ़ाई को रटंत प्रणाली से मुक्त कर उसे व्यावहारिक और मनोवैज्ञानिक बनाने पर बल दिया। इस दौरान विज्ञान शिक्षकों ने शिक्षण में आने वाली समस्याओं के बारे बताया।
प्रशिक्षक अशोक कुमार सिंह व गीता वर्मा ने विज्ञान शिक्षण में आने वाली कठिनाइयों एवं उसके निराकरण पर प्रकाश डाला। साथ ही राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 में दिए गए बिंदुओं पर चर्चा की। प्रशिक्षण के आयोजक व अभियान के जिला समन्वयक चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि विज्ञान का अध्ययन वास्तव में परिवेश का अध्ययन है। इसके शिक्षण में इस तरह तब्दीली की जानी चाहिए कि यह हर बच्चे को अपने रोज के अनुभवों को जांचने और उनका विश्लेषण करने में सक्षम बनाए। परिवेश संबंधी सरोकारों और चिंताओं पर हर विषय में जोर दिए जाने की जरूरत है। इसके पूर्व कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए वित्त एवं लेखाधिकारी, माध्यमिक शिक्षा अभियान मनोज तिवारी ने कहा कि प्रशिक्षकों द्वारा बताई गई सभी नवीन विधाओं को उपयोग में लाकर शिक्षण को प्रभावी बनाएं। कार्यशाला में विज्ञान शिक्षक अरेंद्र कुमार, विक्रमा राम आदि विज्ञान शिक्षण में प्रयोगशाला उपकरण तथा टीएलएम की अनुपलब्धता का सवाल उठाया और अव्यवस्था पर क्षोभ प्रकट किया। प्रशिक्षण में मुख्य रूप से प्रतिभा सिंह, सर्वेश कुमारी, शाजिया रहमान, रामजीत यादव, देवभूषण सिंह, नीलम गुप्ता, सावित्री राय आदि 40 प्रतिभागी शामिल हैं। प्रधानाचार्या मिथिलेश राय ने कार्यशाला की व्यवस्था में लगी हुई हैं।