तोडती पथर कविता का भाव सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
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तोड़ती पत्थर' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए। ... मजदूर वर्ग की दयनीय दशा को उभारने वाली एक मार्मिक कविता है। कवि कहता है कि उसने इलाहाबाद के मार्ग पर एक मजदूरनी को पत्थर तोड़ते देखा। वह जिस पेड़ के नीचे बैठकर पत्थर तोड़ रही थी वह छायादार भी नहीं था, फिर भी विवशतावश वह वहीं बैठे पत्थर तोड़ रही थी।
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Answer:
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