दहेज प्रथा पर निबंध। १०० शब्दों मे
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दहेज प्रथा पर निबंध। १०० शब्दों मे
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हालाकि आज कन्या भ्रूण हत्या मैं कमी आई है परंतु आज भी ज्यादातर घरों में बेटी पैदा होती है तो उनके लिए वह दुख का दिन होता है क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण है दहेज प्रथा। आज भी हमारे हिंदू समाज के माथे पर यह एक कलंक के जैसे चिपका हुआ है। आज भारत विकासशील देशों में गिना जाता है। परंतु कुछ छोटी सोच और समाज के पुराने रिवाज जैसे बाहर शौच करना, कूड़ा इधर-उधर फेंकना, बेटी को शिक्षा ना दिलाना और दहेज प्रथा हमारे देश भारत को विकसित होने से रोक रहे हैं।
इस तरह की नीच सोच और समझ ही हमारे देश की भविष्य पर बड़ी रुकावट साधे बैठे हें|दहेज प्रथा को भी हमारे समाज में लगभग हर श्रेणी की स्वीकृति मिल गयी है जो की आगे चल के एक बड़ी समस्या का रूप भी ले सकती है |
महात्मा गाँधी ने दहेज प्रथा के बारे में कहा था की
जो भी व्यक्ति दहेज को शादी की जरुरी सर्त बना देता है , वह अपने शिक्षा और अपने देश की बदनाम करता है, और साथ ही पूरी महिला जात का भी अपमान करता है |
ये बात महात्मा गाँधी ने देश की आजादी से पहले कही थी| लेकिन आजादी के इतने साल बाद भी दहेज प्रथा को निभायी जाती है| हमारे सभ्य समाज के गाल पर इससे बड़ा तमाचा और क्या हो सकता है?
हम सभी ऊँचे विचारों और आदर्श समाज की बातें करते हें, रोज़ दहेज जैसी अपराध के खिलाफ चर्चे करते हें, लेकिन असल जिंदगी में दहेज प्रथा जैसी जघन्य अपराध को अपने आस पास देख के भी हम लोग अनदेखा कर देते हें| ये बड़ी ही शर्म की बात है|दहेज प्रथा को निभाने वालों से ज्यादा दोषी इस प्रथा को आगे बढ़ते हुए देख समाज में कोई ठोस कदम नहीं उठाने वाले है|दहेज प्रथा सदियों से चलती आई एक विधि है जो की बदलते वक़्त के साथ और भी गहरा होने लगा है| ये प्रथा पहले के जमाने में केवल राजा महाराजाओं के वंशों तक ही सिमित था| लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुजरता गया, इसकी जड़ें धीरे धीरे समाज के हर वर्ग में फैलने लगा| आज के दिन हमारे देश के प्रयात: परिवार में दहेज प्रथा की विधि को निभाया जाता है|
दहेज प्रथा लालच का नया उग्र-रूप है जो की एक दुल्हन की जिंदगी की वैवाहिक, सामाजिक, निजी, शारीरिक, और मानसिक क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव डालता है, जो की कभी कभी बड़े ही भयंकर परिणाम लाता है|
दहेज प्रथा का बुरा परिणाम के बारे में सोच कर हर किसी का रूह काँपने लगता है, क्यूंकि इतिहास ने दहेज प्रथा से तड़पती दुल्हनों की एक बड़ी लिस्ट बना रखी है| ये प्रथा एक लड़की की सारी सपनो और अरमानो को चूर चूर कर देता है जो की बड़ी ही दर्दनाक परिणाम लाता है |
लगभग देश की हर कोने में ये प्रथा को आज भी बड़े ही बेजिजक निभाया जाता है|
ये प्रथा केवल अमीरों तक ही सिमित नहीं है, बल्कि ये अब मध्य बर्गियों और गरीबों का भी सरदर्द बन बैठा है|
सोचने की बात है की देश में बढती तरक्की दहेज प्रथा को निगलने में कहाँ चूक जाती है? ऊँच शिक्षा और सामाजिक कार्यकर्मों के बावजूद दहेज प्रथा अपना नंगा नाच आज भी पूरी देश में कर रही है| ये प्रथा हर भारतीयों के लिए सच में एक गंभीर चर्चा बन गयी है जो की हमारे बहु बेटियों पर एक बड़ी ही मुसीबत बन गयी है|दहेज प्रथा समाज की बीमारी है | इस बीमारी ने न जाने कितने ही परिवारों की खुशियों को मिटा दिया है| आज समाज में दहेज प्रथा पूरी तरह अपनी जगह बना चुकी है जो की एक दस्तक है आगे चलते समय के लिए|
दहेज प्रथा को बढ़ावा देने में समाज की ही अहम् भूमिका है | वह समाज ही है जो की दहेज प्रथा की जड़ को मजबूत कर रही है|
दहेज प्रथा की कई कारण हें, जैसे की–
इ-शादी की विज्ञापन से फैलती दहेज प्रथा-
आज के इन्टरनेट युग में शादी के लिए लड़का-लड़की इन्टरनेट के माध्यम से भी खोजे जाते हें| इस प्रकार की विज्ञापनों में लड़की की परिवार वाले कई बार अच्छे लड़के की आश में अपना स्टेटस और कमाई को ज्यादा बताने की भूल कर बैठते हें, जो की लड़के वालों में कभी कभी लोभ आ जाता है| इस प्रकार की लोभ शादी के बाद मांग में बदल जाते हें, जो की धीरे धीरे दहेज प्रथा को पनपने देता हें| और दहेज की मांग होने लगती है|
2. समाज में पुरुष प्रधान की लहर से फैलती देहेज प्रथा-
हमारे समाज पुरुष प्रधान है| बचपन से ही लड़कियों की मन में ये बात बिठा दिया जाता है की लडके ही घर के अन्दर और बाहर प्रधान हें, और लड़कियों को उनकी आदर और इज्ज़त करनी चाहिए| इस प्रकार की अंधविश्वास और दक्क्यानूसी सोच लड़कियों की लड़कों के अत्याचार के खिलाफ अवाज़ उठाने की साहस की गला घूंट देते हें| और इससे बढती है लड़कियों पर अत्याचार और रूप लेता है विभिन्न मांगों की, जो की दहेज प्रथा का रास्ता खोल देता है|
3. समाज में अपनी झूठी स्टेटस से फैलती दहेज प्रथा-
जी हाँ, चौंकाने वाला पर सच| ऊँचे समाज में आज कल अपना सोशल स्टेटस की काफी कम्पटीशन चल रही है| बेटी की शादी में ज्यादा से ज्यादा खर्च करना, महँगी तोहफे देना, लड़के वालों को मांग से ज्यादा तोहफे देना, आदि लड़के वालों के मन को कई बार छू जाता है| ये आदतें धीरे धीरे लड़की पर दबाव बना देती है| शादी के बाद भी लड़के वालों की इस तरह के तोहफों की लत लग जाती है, जो की धीरे धीरे मांग की रफ़्तार को और आगे ले जाती है| और इसी झूठी शान के चलते हम जाने अनजाने में दहेज प्रथा को पनपने देते हैं|
4 . लड़की की सुन्दरता या कोई कमी कई बार दहेज की रस्म को निभा जाती है-कई बार दहेज प्रथा खुद लड़की की माँ बाप की गलती से भी पनपता है| अगर लड़की की सुन्दरता में कोई कमी है या फिर लड़की की किसी भी कमी के कारण शादी में दिक्कत आती है, तो माँ- बाप लड़की की शादी को तुरंत करवाने की आड़ में दहेज देना आरम्भ कर देते हें| और ये बात दहेज प्रथा को हवा देती है|