मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई ' - पद का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिए?
उत्तर - इस पद में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपनी अनन्यता तथा व्यर्थ के कार्यों में व्यस्त लोगों के प्रति दुख प्रकट किया है। वे कहती हैं कि मोर मुकुटधारी गिरिधर कृष्ण ही उसके स्वामी हैं । कृष्ण-भक्ति में उसने अपने कुल की मर्यादा भी भुला दी है। संतों के पास बैठकर उसने लोकलाज खो दी है। आँसुओं से सींचकर उसने कृष्ण प्रेम रूपी बेल बोयी है। अब इसमें आनंद के फल लगने लगे हैं। उसने दही से घी निकालकर छाछ छोड़ दिया। संसार की लोलुपता देखकर मीरा रो पड़ती हैं। वे कृष्ण से अपने उद्धार के लिए प्रार्थना करती हैं।
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Answer:
कruण रश हे इसमें कियुं ismein Mera Apne Dukh ko prakat Karti Hain