कर्म कारक और संप्रदान कारक में एक ही परसर्ग प्रयुक्त होता है, फिर उनमें क्या अंतर है ?
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पत्र कर्म कारक है। इस वाक्य में कर्म कारक का विभक्ति चिह्न 'को' नहीं लगा है। ... इसका अर्थ यह है कि कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, अथवा किसीको कुछ देता है तो उसे व्यक्त करने वाले रूप को संप्रदान कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न 'के लिए' और को हैं।
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अतः पत्र कर्म कारक है। इस वाक्य में कर्म कारक का विभक्ति चिह्न 'को' नहीं लगा है। ... इसका अर्थ यह है कि कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, अथवा किसीको कुछ देता है तो उसे व्यक्त करने वाले रूप को संप्रदान कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न 'के लिए' और को हैं।
Explanation:
कर्म और सम्प्रदान कारक में अंतर (Difference between Karm and Sampradan Karak):- इन दोनों कारक में को विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है।
कर्म और सम्प्रदान कारक में अंतर (Difference between Karm and Sampradan Karak):- इन दोनों कारक में को विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है। कर्म कारक की परिभाषा: किसी भी वस्तु या व्यक्ति द्वारा वाक्य में की गई क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक में 'को' विभक्ति चिन्ह का प्रयोग होता है।
कर्म और सम्प्रदान कारक में अंतर (Difference between Karm and Sampradan Karak):- इन दोनों कारक में को विभक्ति का प्रयोग होता है। कर्म कारक में क्रिया के व्यापार का फल कर्म पर पड़ता है और सम्प्रदान कारक में देने के भाव में या उपकार के भाव में को का प्रयोग होता है। कर्म कारक की परिभाषा: किसी भी वस्तु या व्यक्ति द्वारा वाक्य में की गई क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक में 'को' विभक्ति चिन्ह का प्रयोग होता है। इसका कारक–चिह्न 'को' है। जैसे– मोहन ने साँप को मारा। इस वाक्य में 'मारने' की क्रिया का फल साँप पर पड़ा है। अतः साँप कर्म कारक है।