चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों मेंगूंथा जाऊं
चाह नहीं प्रेमी माला मेंबिधप्यारी को ललचाऊं।
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूं भाग्य पर इठलाऊं।
मुझे तोड़ लेना वनमाली देना उस पथ पर तुम फेक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जावे वीर अनेक
क) पुष्प किस के आभूषणों में सजना नहीं चाहता?
ख) पुष्पक किसेललचाना नहीं चाहता?
ग) पुष्पा अपने भाग्य पर किस कार्य से गर्वित नहीं होना चाहता?
घ) पुष्प माली से किस रास्ते पर फेंकने की बात करता है?
ङ) वनमालीशब्द में कौन सा समास है?
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Answer:
गामिन् गुञ्जा आसन् गान्धी आगतान्