कला का लिंग पहचाने स्त्रीलिंग या पुल्लिंग
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कला का लिंग पहचाने स्त्रीलिंग या पुल्लिंग
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कला का लिंग स्त्रीलिंग हैं
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लिंग(gender) की परिभाषा
"संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की नर या मादा जाति का बोध हो, उसे व्याकरण में 'लिंग' कहते है।
दूसरे शब्दों में-संज्ञा शब्दों के जिस रूप से उसके पुरुष या स्त्री जाति होने का पता चलता है, उसे लिंग कहते है।
सरल शब्दों में- शब्द की जाति को 'लिंग' कहते है।
जैसे-
पुरुष जाति- बैल, बकरा, मोर, मोहन, लड़का आदि।
स्त्री जाति- गाय, बकरी, मोरनी, मोहिनी, लड़की आदि।
'लिंग' संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'चिह्न' या 'निशान'। चिह्न या निशान किसी संज्ञा का ही होता है। 'संज्ञा' किसी वस्तु के नाम को कहते है और वस्तु या तो पुरुषजाति की होगी या स्त्रीजाति की। तात्पर्य यह है कि प्रत्येक संज्ञा पुंलिंग होगी या स्त्रीलिंग। संज्ञा के भी दो रूप हैं। एक, अप्रणिवाचक संज्ञा- लोटा, प्याली, पेड़, पत्ता इत्यादि और दूसरा, प्राणिवाचक संज्ञा- घोड़ा-घोड़ी, माता-पिता, लड़का-लड़की इत्यादि।
लिंग के भेद
सारी सृष्टि की तीन मुख्य जातियाँ हैं- (1) पुरुष (2) स्त्री और (3) जड़। अनेक भाषाओं में इन्हीं तीन जातियों के आधार पर लिंग के तीन भेद किये गये हैं- (1) पुंलिंग (2) स्त्रीलिंग और (3) नपुंसकलिंग।
अँगरेजी व्याकरण में लिंग का निर्णय इसी व्यवस्था के अनुसार होता है। मराठी, गुजराती आदि आधुनिक आर्यभाषाओं में भी यह व्यवस्था ज्यों-की-त्यों चली आ रही है।
इसके विपरीत, हिन्दी में दो ही लिंग- पुंलिंग और स्त्रीलिंग- हैं। नपुंसकलिंग यहाँ नहीं हैं। अतः, हिन्दी में सारे पदार्थवाचक शब्द, चाहे वे चेतन हों या जड़, स्त्रीलिंग और पुंलिंग, इन दो लिंगों में विभक्त है।
हिन्दी व्याकरण में लिंग के दो भेद होते है-
(1)पुलिंग(Masculine Gender)
(2)स्त्रीलिंग( Feminine Gender)
(1) पुलिंग :- जिन संज्ञा शब्दों से पुरूष जाति का बोध होता है, उसे पुलिंग कहते है।
जैसे-
सजीव- कुत्ता, बालक, खटमल, पिता, राजा, घोड़ा, बन्दर, हंस, बकरा, लड़का इत्यादि।
निर्जीव पदार्थ- मकान, फूल, नाटक, लोहा, चश्मा इत्यादि।
भाव- दुःख, लगाव, इत्यादि।
(2)स्त्रीलिंग :- जिस संज्ञा शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते है।
जैसे-
सजीव- माता, रानी, घोड़ी, कुतिया, बंदरिया, हंसिनी, लड़की, बकरी,जूँ।
निर्जीव पदार्थ- सूई, कुर्सी, गर्दन इत्यादि।
भाव- लज्जा, बनावट इत्यादि।
पुल्लिंग की पहचान
(1) कुछ संज्ञाएँ हमेशा पुल्लिंग रहती है-
खटमल, भेड़या, खरगोश, चीता, मच्छर, पक्षी, आदि।
(2)समूहवाचक संज्ञा- मण्डल, समाज, दल, समूह, वर्ग आदि।
(3) भारी और बेडौल वस्तुअों- जूता, रस्सा, लोटा ,पहाड़ आदि।
(4) दिनों के नाम- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, वीरवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार आदि।
(5) महीनो के नाम- फरवरी, मार्च, चैत, वैशाख आदि। (अपवाद- जनवरी, मई, जुलाई-स्त्रीलिंग)
(6) पर्वतों के नाम- हिमालय, विन्द्याचल, सतपुड़ा, आल्प्स, यूराल, कंचनजंगा, एवरेस्ट, फूजीयामा आदि।
(7) देशों के नाम- भारत, चीन, इरान, अमेरिका आदि।
(8) नक्षत्रों, व ग्रहों के नाम- सूर्य, चन्द्र, राहू, शनि, आकाश, बृहस्पति, बुध आदि।
(अपवाद- पृथ्वी-स्त्रीलिंग)
(9) धातुओं- सोना, तांबा, पीतल, लोहा, आदि।
(10) वृक्षों, फलो के नाम- अमरुद, केला, शीशम, पीपल, देवदार, चिनार, बरगद, अशोक, पलाश, आम आदि।
(11) अनाजों के नाम- गेहूँ, बाजरा, चना, जौ आदि। (अपवाद- मक्की, ज्वार, अरहर, मूँग-स्त्रीलिंग)
(12) रत्नों के नाम- नीलम, पुखराज, मूँगा, माणिक्य, पन्ना, मोती, हीरा आदि।
(13) फूलों के नाम- गेंदा, मोतिया, कमल, गुलाब आदि।
(14) देशों और नगरों के नाम- दिल्ली, लन्दन, चीन, रूस, भारत आदि।
(15) द्रव पदार्थो के नाम- शरबत, दही, दूध, पानी, तेल, कोयला, पेट्रोल, घी आदि।
(अपवाद- चाय, कॉफी, लस्सी, चटनी- स्त्रीलिंग)
(16) समय- घंटा, पल, क्षण, मिनट, सेकेंड आदि।
(17) द्वीप- अंडमान-निकोबार, जावा, क्यूबा, न्यू फाउंडलैंड आदि।
(18) सागर- हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अरब सागर आदि।
(19) वर्णमाला के अक्षर- क्, ख्, ग्, घ्, त्, थ्, अ, आ, उ, ऊ आदि। (अपवाद- इ, ई, ऋ- स्त्रीलिंग)
(20) शरीर के अंग- हाथ, पैर, गला, अँगूठा, कान, सिर, मस्तक, मुँह, घुटना, ह्रदय, दाँत आदि।
(अपवाद- जीभ, आँख, नाक, उँगलियाँ-स्त्रीलिंग)
(21) आकारान्त संज्ञायें- गुस्सा, चश्मा, पैसा, छाता आदि।
(22) 'दान, खाना, वाला' आदि से अंत होने वाले अधिकतर शब्द पुल्लिंग होते हैं; जैसे- खानदान, पीकदान, दवाखाना, जेलखाना, दूधवाला आदि।
(23) अ, आ, आव, पा, पन, क, त्व, आवा तथा औड़ा से अंत होने वाली संज्ञाएँ पुल्लिंग होती हैं :
अ- खेल, रेल, बाग, हार, यंत्र आदि।
आ- लोटा, मोटा, गोटा, घोड़ा, हीरा आदि।
आव- पुलाव, दुराव, बहाव, फैलाव, झुकाव आदि।
पा- बुढ़ापा, मोटापा, पुजापा आदि।
पन- लड़कपन, अपनापन, बचपन, सीधापन आदि।
क- लेखक, गायक, बालक, नायक आदि।
त्व- ममत्व, पुरुषत्व, स्त्रीत्व, मनुष्यत्व आदि।
आवा- भुलावा, छलावा, दिखावा, चढ़ावा आदि।
औड़ा- पकौड़ा, हथौड़ा आदि।
(24) मच्छर, गैंडा, कौआ, भालू, तोता, गीदड़, जिराफ, खरगोश, जेबरा आदि सदैव पुल्लिंग होते हैं।