मनुष्य सभी जीवो में श्री माना जाता है। उसके शरीर की बनावट नै उसे श्रेष्ट
बनाया है। उसका मस्तिष्क एक जाद की दुनिया के समान है; वह जो चाहे
कर सकता है। परंतु संसार में कुछ ऐसे मनुष्य भी हैं जिनकी शारीरिक
आकृति तो हम सब के समान है, परंतु मस्तिष्क का विकास पूरी तरह नहीं हो
पाया है। इस कारण वह सभी कार्य हमारी तरह नहीं कर पाते | उनका उठना
बैठना, पढ़ना-लिखना आदि सभी कुछ पूरी तरह से उनके नियंत्रण में नहीं होता। उनका व्यवहार असामान्य - सा लगता है। परंतु उसमें भी भावनाएं
और विचार होते हैं। अतः हमें उनके प्रति अपने विचारों में परिवर्तन लाना
होगा | कई बार देखा गया है कि बच्चे ऐसे लोगों का मजाक बनाते हैं | हंसते
हैं और बुरा व्यवहार करते हैं। हमें इस धारणा को बदलना होगा।
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(ड) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
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Answer:
मनुष्य सभी जीवो में श्री माना जाता है। उसके शरीर की बनावट नै उसे श्रेष्ट
बनाया है। उसका मस्तिष्क एक जाद की दुनिया के समान है; वह जो चाहे
कर सकता है। परंतु संसार में कुछ ऐसे मनुष्य भी हैं जिनकी शारीरिक
आकृति तो हम सब के समान है, परंतु मस्तिष्क का विकास पूरी तरह नहीं हो
पाया है। इस कारण वह सभी कार्य हमारी तरह नहीं कर पाते | उनका उठना
बैठना, पढ़ना-लिखना आदि सभी कुछ पूरी तरह से उनके नियंत्रण में नहीं होता। उनका व्यवहार असामान्य - सा लगता है। परंतु उसमें भी भावनाएं
और विचार होते हैं। अतः हमें उनके प्रति अपने विचारों में परिवर्तन लाना
होगा | कई बार देखा गया है कि बच्चे ऐसे लोगों का मजाक बनाते हैं | हंसते
हैं और बुरा व्यवहार करते हैं। हमें इस धारणा को बदलना होगा।
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-
(ड) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।