मनुष्य का चरम और परम स्वभाव क्या है ? * आंतरिक गुण स्थिर
भाव से बैठा हुआ आंतरिक गुण
स्थिर भाव से बैठा हुआ महान आंतरिक गुण
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मनुष्य का चरम और परम स्वभाव क्या है ? * आंतरिक गुण स्थिर
भाव से बैठा हुआ आंतरिक गुण
स्थिर भाव से बैठा हुआ महान आंतरिक गुण
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मनुष्य जीवन का चरम लक्ष्य
ऊपर फेंका गया ढेला नीचे ही आएगा, क्योंकि ढेला पृथ्वी का अंश है, पृथ्वी ही ढेले का वास्तविक स्वरूप है। समुद्र से सूर्य रश्मियों के माध्यम से जल के कण ले जाये जाकर वे जल होकर हिमालय आदि स्थानों में बरसते हैं। बरसने के बाद वह जल समुद्र की ओर चल देता है, क्योंकि जल का मूल स्थान, मूल स्वरूप समुद्र ही है। अतः जब तक वह अपने मूलस्वरूप समुद्र को प्राप्त नहीं होगा तब तक उसके प्रयत्न (गति) का अंत नहीं होगा।
Explanation:
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Answer:
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