रह म क अिसार सच्चा लमत्र कौि ह?
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प्रस्तुत प्रश्न रहीम जी से लिखागया निति दोहे नामक पाठ से लिखा गया है |यह पाठ दोहे के रूप में लिखागया है|रहीम जी का पूरा नाम है अबदुर्रहीम खान खाना है|वे अकबर के दरबार में नवरत्नों से एक है|उनका जन्म सन १५५६ में और म्रत्यु १६२६ में माना जाता है|आप संस्कट, अरबी और फारसी के विद्वान् थे|रहीम सतसई,बरवै नायिका,भेद,श्रुंगार सोरठा आदि इनके परसुध रचनायें है|इनके दोहे निति परक होते है|बिहारी सतसई इनकी परसिद्ध रचना है|इन्हों ने निति के दोहे द्वारा सागर को गागर में भर ने का प्रयत्न किया
रहीम कहते है कि जब कोई व्यक्ति धनवान बन जाता है|तो सब लोग उनके सम्बन्धी,मित्र सगे बन जाते है|सुख में सब लोग साथ देते है|मगर मुश्किलों में भी जो हमारे साथ देते है|वो ही हामारे सच्चा मित्र है|विपत्ति में ही सच्चा मित्र का पहचान होता है|
Answer:
प्रस्तुत दोहे में रहीम दास जी ने सच्चे मित्र की पहचान बताते हुए कहा है कि जो हमारे विपत्ति की घड़ी में हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। सुदामा चरित्र को पढ़ते हुए हम यह कह सकते हैं कि श्रीकृष्ण ने भी सच्ची मित्रता का परिचय देते हुए विपत्ति के समय अपने मित्र सुदामा की आर्थिक सहायता की। अत: हम यह कह सकते हैं कि रहीम द्वारा दिए गए सच्चे मित्र की परिभाषा तथा श्रीकृष्ण के अपने मित्र की सहायता करने में काफी समानता है।