काहे रे! बन खोजन जाई।
सर्व-निवासी सदा अलेपा, तोही संग समाई।
पुष्प मध्य ज्यों बास बसत है, मुकुर माहिंजस छाई।
तैसे ही हरि बसैं निरंतर, घट ही खोजो भाई।
बाहर भीतर एकै जानौ, यह गुरु ज्ञान बताई।
जन नानक बिन आपा चीन्हे, मिटै न भ्रम की काई।।
-नानक देव
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काहे रे! बन खोजन जाई।
सर्व-निवासी सदा अलेपा, तोही संग समाई।
पुष्प मध्य ज्यों बास बसत है, मुकुर माहिंजस छाई।
तैसे ही हरि बसैं निरंतर, घट ही खोजो भाई।
बाहर भीतर एकै जानौ, यह गुरु ज्ञान बताई।
जन नानक बिन आपा चीन्हे, मिटै न भ्रम की काई।।
इसका अर्थ है : हे मानव , तुझे प्रभु को खोजने के लिए जंगलों में भटकने की कोई जरूरत नहीं है , प्रभु सब जगह निवास करते है , वह सब जगह है | जिस प्रकार फूलों में फूलों में सुगन्धि एवं दर्पण में हमारी परछाई छिपी होती है , उसी प्रकार परमात्मा भी मनुष्य के अंदर छिपे होते है | तुम्हें ईश्वर की खोज करनी है तो अपने अंदर ही करो |
ईश्वर की प्राप्ती हमें गुरु के ज्ञान के बिना नहीं हो सकती है | जब तक हम स्वयं को पहचान नहीं सकते है , तब तक हम ईश्वर को प्राप्त नहीं सकते है | गुरु हमें सही मार्ग दिखाते है | हमें हमारा वास्तविक स्वरुप क्या है ? सब गुरु के बिना संभव नहीं |