लोकतंत्र में मीडिया किन मायनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं?
Share
लोकतंत्र में मीडिया किन मायनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं?
Sign Up to our social questions and Answers Engine to ask questions, answer people’s questions, and connect with other people.
Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people’s questions & connect with other people.
Answer:
HEY
AM FaZeK1NG
I AM LOOKING FOR A FRIEND AND A GF
CAN YOU PLZ HELP ME
MAIL ME:[email protected]
AND DONT FORGET TO MAIL
I AM FREE ANY TIME
Explanation:
Verified answer
Answer:
लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका
रूपरेखा
मीडिया के महत्व को रेखांकित करते हुए निबंध की शुरूआत।
मीडिया के विभिन्न रूपों, क्रिया-कलापों, उत्तरदायित्वों इत्यादि का विशद वर्णन। समाचार-पत्र, रेडियो, टीवी, पत्रिकाएं इत्यादि किस तरह समाज में अपनी भूमिका अदा करते हैं और ये कितने प्रभावी होते हैं। इसका विस्तृत उल्लेख।
राष्ट्र निर्माण के आरम्भिक दौर में मीडिया ने किस ढंग से काम किया और फिर स्वाधीनता आंदोलन के दौरान पत्र-पत्रिकाओं का क्या योगदान रहा?
आजादी के बाद पत्र-पत्रिकाओं के क्रिया-कलाप। विशेष तौर पर उदारीकरण के बाद जब मीडिया के विभिन्न रूप सामने आए।
पत्रकारिता के क्षेत्र में आई गिरावट और उनके कारणों की पड़ताल। लोकतंत्र में आई गिरावट के दौर और पत्रकारिता में आई गिरावट में अंतर्सम्बंधों पर चर्चा।
तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखना कितना जरूरी है और इसके लिए उसे किस तरह संयम बरतना चाहिए इन्हीं बिंदुओं के साथ समाधान।
मीडिया अथवा जनसंचार माध्यम किसी भी समाज या देश की वास्तविक स्थिति के प्रतिबिंब होते हैं। देश के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक फलक पर क्या कुछ घटित हो रहा है, इससे आम जन-मीडिया के द्वारा ही परिचित होते हैं। जनसंचार माध्यमों के विभिन्न रूपों ने आज दुनिया के लगभग हर होने तक अपनी पहुँच बना रखी है। मीडिया की शक्ति का आकलन उसकी व्यापक पहुंच के मद्देनजर किया जा सकता है। लेकिन इतनी शक्तियों और लगभग स्वतंत्र होने की वजह से मीडिया की देश और समाज के प्रति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी है, इसीलिए लोकतंत्र में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद मीडिया को चैथा स्तम्भ माना जाता है।
सामान्यतया लोकतंत्र की तीन विशेषताएँ होती हैं - जनता का प्रतिनिधित्व, जनता के हितों का संरक्षण तथा जनता के प्रति उत्तरदायित्व। व्यवस्थापिका जनता का प्रतिनिधित्व करती है। किंतु जनता के जागरूक न रहने पर ऐसे व्यक्तियों का चुनाव कर सकती है, जो ऊपर से जनता के हितों की बात करते हों किंतु वास्तव में अपने लाभ के लिये चुनाव लड़ रहे हों। जनता आतंकित होकर भी किसी बाहुबली या अपराधी का चुनाव करने को विवश हो सकती है। जनता कोअपने हितों को समझना भी जरूरी है। जटिल आर्थिक और सामाजिक संरचना में जनता को संकीर्ण जातिगत या क्षेत्रीय हितों के विरूद्ध राष्ट्रीय अथवा सम्पूर्ण समाज के विशाल हितों के बीच अंतर करना होता है और उसका कोई भी गलत निर्णय जटिल समस्याएँ खड़ी कर देता है। इस प्रकार स्वस्थ लोकमत का निर्माण आवश्यक हो जाता है। लोकमत के निर्माण में मीडिया की भूमिका सर्वाधिक सशक्त और महत्वपूर्ण होती है।
Explanation:
Hope it is helpful to you Dear khushi please make me as brainlist ♫ ♫ ☆ ☃️ ☆ ♫ ♫