हमारे हरि हरिल की लकरी , मन क्रम वचन नंदनंदन उर यह दृढ कर पकरी । सुनत जोत लगता है एेसों ज्यों करूई ककरी । सु तो व्याधि ऐसी ले आए ।
गोपियों की प्रति प्रेम भावना को व्यक्त कीजिये
गोपियों ने योग को कैसा बताया है
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हमारे हरि हरिल की लकरी , मन क्रम वचन नंदनंदन उर यह दृढ कर पकरी । सुनत जोत लगता है एेसों ज्यों करूई ककरी । सु तो व्याधि ऐसी ले आए ।
गोपियों की प्रति प्रेम भावना को व्यक्त कीजिये
गोपियों ने योग को कैसा बताया है
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Explanation:
Gopiyan krishna ke prati apni prem bhavna anek bhavo me vyakt karti hai :
Answer:
गोपियां कहती है कि कृष्ण उनके के लिए उस हारिल के समान है जो हमेशा अपने साथ लकड़ी रखता है। कृष्ण उनके मन वचन में है। वो उनके अलावा किसी का ध्यान नही करती। योग का संदेश उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है क्यूंकि उन्हें लगा था कि कृष्ण प्रेम संदेश भेजेगे। इस संदेश से उनके कष्ट और बढ़ गए है।