aaj hum padhe ge Parthivi ke bare mein! दोपहर में खाने के बाद
आशा ने कहा-कितना
आश्चर्यजनक है सबकुछ
देखो। पृथ्वी अपने कक्ष में
घूमती है। रात-दिन होता
है और फिर चाँद घूमता है
पृथ्वी के चारों ओर
मुनिबर ने कहा - इतना
पूमना-फिरना समझना
सबने मिलकर यही जानना
मैडम ने एक चित्र बनाकर
कहा-चित्र में सूर्य-पृथ्वी
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