Apna mitra ko bhashan pratiyogita ma pratham aana ka liya shubhakamana patra
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परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 01 सितंबर, 2018
प्रिय मित्र,
नमस्कार।
आज पिताजी का पत्र मिला। अन्य बातों के साथ ही उन्होंने तुम्हारे विषय में भी लिखा है कि पिछले माह हुई अंतर्विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में तुम्हें प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह पढ़कर मुझे जो खुशी हुई उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। इस सफलता के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें। यह शुभ समाचार सुनकर सभी मित्र अत्यधिक प्रसन्न हुए। तुम्हारा अभिन्न मित्र होने के कारण मैं तुम्हारे स्थान उनकी बधाई स्वीकार करता रहा। बचपन से ही तुम में भाषण देने की कला व तर्क शक्ति का बाहुल्य था। "होनहार बिरवान के होत चीकने पात" उक्ति तुम पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है। मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि भविष्य में भी तुम इस प्रकार सफलता प्राप्त करते रहो।
मेरी ओर से अंकल और आंटी को प्रणाम कहना।
तुम्हारा मित्र
XYZ