कबीर ने अपने दोहे में 'सुखिया सब संसार है' क्यों कहा है ? क्या आप कबीर जी से सहमत हैं ?
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कबीर ने अपने दोहे में 'सुखिया सब संसार है' क्यों कहा है ? क्या आप कबीर जी से सहमत हैं ?
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Answer:
कबीर
साखी
ऐसी बाँणी बोलिए मन का आपा खोई।
अपना तन सीतल करै औरन कैं सुख होई।।
बात करने की कला ऐसी होनी चाहिए जिससे सुनने वाला मोहित हो जाए। प्यार से बात करने से अपने मन को शांति तो मिलती ही है साथ में दूसरों को भी सुख का अनुभव होता है। आज के जमाने में भी कम्युनिकेशन का बहुत महत्व है। किसी भी क्षेत्र में तरक्की करने के लिए वाक्पटुता की अहम भूमिका होती है।
कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि।
ऐसे घटी घटी राम हैं दुनिया देखै नाँहि॥
हिरण की नाभि में कस्तूरी होता है, लेकिन हिरण उससे अनभिज्ञ होकर उसकी सुगंध के कारण कस्तूरी को पूरे जंगल में ढ़ूँढ़ता है। ऐसे ही भगवान हर किसी के अंदर वास करते हैं फिर भी हम उन्हें देख नहीं पाते हैं। कबीर का कहना है कि तीर्थ स्थानों में भटक कर भगवान को ढ़ूँढ़ने से अच्छा है कि हम उन्हें अपने भीतर तलाश करें।
Explanation:
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♡Answer♡:-
कवि के अनुसार संसार में वह लोग सुखी है जो भगवान के पद पर चलना नहीं चाहते सिर्फ सुखों का भोग करते और दुखी वह है जो ईश्वर का ध्यान लगाकर जाते हैं और जूते हैं जो लोग संसार में सुख सुख विदाउट को ही सुख समझते हैं वह लोग सोते हैं और जो लोग ईश्वर के पथ पर जाना चाहते हैं वे लोग जाते हैं ।
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