जब ताकत काम न आए तो
न आए तो बुद्धि का सहारा लेना चाहिए। इसी शिक्षा से प्रेरित बुद्धि से सफलता
प्राप्त करने वाली एक रोचक कहानी 100-150 शब्दों में लिखिए
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न आए तो बुद्धि का सहारा लेना चाहिए। इसी शिक्षा से प्रेरित बुद्धि से सफलता
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एक बार किसी गांव में कुश्ती का आयोजन हो रहा था। अखाड़े में एक पहलवान ऐसा भी था, जिसे हराना किसी के बस की बात नहीं थी। स्पर्धा शुरू होने से पहले राजा ने विजेता को तीन लाख रुपए के इनाम की घोषणा और कर दी।
इनामी राशि बड़ी थी। पहलवान और भी जोश में भर गए और मुकाबले के लिए तैयार हो गए। कुश्ती आरंभ हुई और वही पहलवान सभी को बारी-बारी से चित करता रहा। गर्व से चूर उसने वहां मौजूद दर्शकों को भी हराने की चुनौती दे डाली।
वहीं खड़े एक दुबले-पतले व्यक्ति ने मैदान में उतरने का निर्णय लिया और पहलवान के सामने जा खड़ा हो गया। उस व्यक्ति ने चतुराई से काम लिया और उस पहलवान के कान में कहा, पहलवानजी, मैं कहां आपके सामने टिक पाऊगां, आप ये कुश्ती हार जाओ मैं आपको इनामी राशि तो दूंगा ही, साथ में 3 लाख रुपए और दूंगा। आप कल मेरे घर आकर ले जाना।
कुश्ती शुरू होती है, पहलवान कुछ देर लडऩे का नाटक करता है और फिर हार जाता है। अगले दिन वह पहलवान शर्त के पैसे लेने उस दुबले व्यक्ति के घर जाता है और छह लाख रुपए मांगता है। दुबला व्यक्ति बोला, भाई, किस बात के पैसे?
वही जो तुमने मैदान में मुझसे देने का वादा किया था। पहलवान ने आश्चर्य से कहा।
दुबला व्यक्ति हंसते हुए बोला, यह तो मैदान की बात थी, जहां तुम अपने दांव-पेंच लगा रहे थे और मैंने अपना दांव लगाया। इस बार मेरे दांव-पेंच तुम पर भारी पड़े और मैं जीत गया।