अपठित गद्यांश
हमारी खराबी का स्त्रोत कहां है- इसका पता हमें लगाना चाहिए और वहीं से उसे ठीक करने का प्रयत्न करना चाहिए। स्त्रोत वही हो सकता है, जहां से हमारा जीवन प्रारंभ होता है और वह है हमारा घर| हमारे घर की इस समय बड़ी दुर्व्यवस्था है। अवश्य ही आप लोगों को अपने घर से असंतोष होगा| असंतोष इसी कारण हो सकता है कि अपने घर में कुछ दोष आप पाते हैं परंतु दोष की कुछ जिम्मेदारी आपके ऊपर भी तो है। ऐसी स्थिति में आपका कर्तव्य है
कि आप इन दोषों को दूर करने का यत्न करें। सबके भावों का आदर करते हुए आपको ऐसा प्रयास करना होगा कि
आपके कारण किसी दूसरे को कष्ट न हो। इससे घर की शांति और सौहार्द में वृद्धि होगी। आजकल की सबसे विचित्र
बात यह है कि कोई अपने को दोष नहीं देता सब कोई दूसरे को दोष देते हैं। आज के संसार में आपकी बड़ी
जिम्मेदारी है। आगे का भारत वैसा ही होगा जैसा आप लोग अपने जीवन में उसे बनाएंगे। यदि आप अपना काम ठीक तरह से करते हैं तो आप सब देशभक्त है और यदि अपने काम के प्रति उदासीन है तो आप वास्तव में देशद्रोही हैं|
-उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए
(क) खराबी स्त्रोत कहां है तथा इसे ठीक किया जा सकता है|
(ख) अपने घर से असंतोष को कैसे दूर किया जा सकता है ?
(ग) लेखक ने देशभक्त और देशद्रोही की पहचान किससे की है।
(घ) 'देशभक्त' सामासिक शब्द का विग्रह कीजिए तथा भेद भी लिखिए।
(ड़) 'स्त्रोत' तथा 'सौहार्द' शब्दों के अर्थ बताइए।
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