फुटबॉल का खेल कैसे शुरू हुआ
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फुटबॉल का खेल कैसे शुरू हुआ
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यदि फुटबॉल के इतिहास को देखा जाए तो यह खेल 1863 में इंग्लैंड से शुरू हुआ। ... गेंद की गोलाई 30-40 सेंटीमीटर होती थी तथा एक बांस का जाल भी इस खेल में प्रयोग में लाया जाता था। इस खेल को खेलने के दौरान पैर, छाती, पीठ और कंधे आदि का प्रयोग किया जाता है। चीन के बाद 500-600 वर्ष बाद जापान में 'केमारी' नाम का खेल प्रचलित हुआ।
Answer:
यदि विश्व खेल की बात आज के समय में की जाए तो फुटबॉल (Football) एक ऐसा खेल है जो पूरे विश्व भर में सबसे ज्यादा खेला जाता है। इस खेल के समर्थक पूरी दुनिया में पाए जाते हैं तथा इस खेल का दीवानापन इसके विश्व कप के शुरू होने पर दिखाई देता है। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर इस खेल के प्रति लोगों में इतनी दीवानगी क्यूँ है? यह समझने के लिए हमें इस खेल के इतिहास को समझने की आवश्यकता है।
यदि फुटबॉल के इतिहास को देखा जाए तो यह खेल 1863 में इंग्लैंड से शुरू हुआ। इसी दौर में फुटबॉल एसोसिएशन का भी गठन हुआ था। फुटबॉल के विषय में एक तथ्य जानना अत्यंत जरूरी है कि आखिर इस खेल का नाम फुटबॉल कैसे पड़ा। अब इस विषय में कोई लिखित ऐतिहासिक साक्ष्य तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन कदाचित पैर से गेंद को मारने के कारण ही इसे फुटबॉल कहा गया। अलग उदहारण में हम हैण्डबाल (Handball) को देख सकते हैं। फुटबॉल का इतिहास करीब 3 ईसा पूर्व तक जाता है। फुटबॉल खेल की शुरुआत चीन से मानी जाती है। चीन में यह खेल सैन्य अभ्यास के लिए खेला जाता था। ‘हान’ राजवंश में इस खेल के अग्रदूत को ‘त्सू चू’ कहा जाता था जिसमें एक चमड़े की गेंद को लात मार कर खेल की शुरुआत करता था जिसमें पंख आदि भरे रहते थे। गेंद की गोलाई 30-40 सेंटीमीटर होती थी तथा एक बांस का जाल भी इस खेल में प्रयोग में लाया जाता था। इस खेल को खेलने के दौरान पैर, छाती, पीठ और कंधे आदि का प्रयोग किया जाता है। चीन के बाद 500-600 वर्ष बाद जापान में ‘केमारी’ नाम का खेल प्रचलित हुआ। इस खेल में त्सू चू की उपलब्धता नहीं होती थी। इस खेल में एक गोल घेरे में खिलाड़ी खड़े होकर एक दूसरे की तरफ गेंद भेजने का काम करते थे। यह खेल आज भी खेला जाता है।
प्राचीन यूनान में ‘हार्पास्तम’ नाम का खेल था जिसे दो गुटों द्वारा खेला जाता था। इस खेल में गेंद का आकार छोटा होता था। यह खेल एक आयताकार घेरे में खेला जाता था। यह 700-800 साल तक प्रचालन में रहा था। आधुनिक दुनिया में इस खेल का प्रचलन तेज़ी से बढ़ा। इस खेल के पहले क्लबों (Clubs) की शुरुआत 15वीं शताब्दी में हुयी थी लेकिन ये क्लब किसी भी प्रकार से एकत्रित नहीं थे तथा उनका कोई कार्यालय नहीं हुआ करता था। इस कारण बिना किसी कागज़ात की उपलब्धता के यह निश्चित करना लगभग असंभव सा हो जाता है कि प्राचीनतम क्लब कौन सा था। कुछ इतिहासकारों की मानें तो फुटबॉल क्लब की शुरुआत सन 1824 में एडिनबर्ग में हुयी थी। शुरूआती क्लब विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा बनाया जाता था। उन्हीं में से एक है शेफील्ड जो सन 1855 में बना था। सबसे पुराना पेशेवर फुटबॉल क्लब था अंग्रेज़ी क्लब नोट्स काउंटी जो कि 1862 में बना था तथा यह आज भी मौजूद है। धीरे-धीरे इस खेल का फैलाव शुरू होना चालू हो गया और एक समय के बाद व्यापारियों ने इसमें अपनी रूचि दिखाना शुरू कर दिया।
फुटबॉल की सबसे पहला प्रतियोगिता सन 1871 में खेली गयी थी, इस खेल में इंग्लिश और स्कॉटलैंड के बीच मुकाबला हुआ था तथा इसे 4000 लोगों ने देखा था, यह खेल 0-0 की बराबरी पर ख़त्म हुआ था। 1883 में दुनिया का पहला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला खेला गया जिसमें इंग्लैंड, आयरलैंड, स्कॉटलैंड, और वेल्स की टीमों ने भाग लिया था। यह खेल इंग्लैंड में फला फूला और जल्द ही पूरे यूरोपीय महाद्वीप में अपनी पहचान बना लिया। यूरोप के बाहर यह खेल सर्वप्रथम 1867 में खेला गया था और खेल खेलने वाला देश था अर्जेंटीना, लेकिन इस खेल में ब्रिटिश कार्यकर्ता ज्यादा थे तथा अर्जेंटीना के नागरिक इस खेल में नहीं थें। फुटबॉल के महासमर फीफा (FIFA) की शुरुआत 1904 में हुयी थी। इस खेल का जमीनी अधिनियम फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क, नीदरलैंड्स, स्पेन, स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। इंग्लैंड और अन्य ब्रिटिश देश शुरुआत से फीफा में शामिल नहीं हुए। कालान्तर में ये फीफा में शामिल हुए लेकिन सन 1950 तक वे इस विश्व कप में हिस्सा नहीं ले पाये। तब से लेकर आज तक यह खेल अनेकों नेक फेर बदल से गुजरा और यह खेल एक जूनून बन गया। दुनिया के सबसे कठिन खेलों में फुटबॉल को जाना जाता है तथा इस खेल में प्रत्येक खिलाड़ी की महत्ता मायने रखती है। आज भारत में इस खेल का जूनून सर चढ़ कर बोल रहा है। वर्तमान में फीफा विश्व कप का आगाज़ हो चुका है। भारतीय टीम इस खेल में अपनी जगह बनाने के लिए सतत प्रयास कर रही है लेकिन अभी तक सफलता नहीं पायी है। परन्तु यहाँ के युवा-बुजुर्ग अपनी मन पसंद टीमों और खिलाड़ियों का समर्थन करते दिखाई दे जाते हैं। आशा है जल्द ही हम एकजुट होकर भारत की फुटबॉल टीम का समर्थन करते दिखाई देंगे।