दंतुरित मुस्कान किसे कहा जाता है
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Answer:
इस कविता में कवि एक ऐसे बच्चे की सुंदरता का बखान करता है जिसके अभी एक-दो दाँत ही निकले हैं; अर्थात बच्चा छ: से आठ महीने का है। जब ऐसा बच्चा अपनी मुसकान बिखेरता है तो इससे मुर्दे में भी जान आ जाती है। बच्चे के गाल धूल से सने हुए ऐसे लग रहे हैं जैसे तालाब को छोड़कर कमल का फूल उस झोंपड़ी में खिल गया हो। कवि को लगता है कि बच्चे के स्पर्श को पाकर ही सख्त पत्थर भी पिघलकर पानी बन गया है।
कवि उस बच्चे की दंतुरित मुसकान से अंदर तक आह्लादित हो जाता है। उसे लगता है उस मुसकान ने कवि में एक नए जीवन का संचार कर दिया है। उसे लगता है कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर धन्य हो गया है।
Explanation:
यह दंतुरित मुसकान ---- नागार्जुन
ज़िन्दगी आपको वो नहीं देगी जो तुम्हे चाहिए,
ज़िंदगी आपको वो देगी जिसके तुम काबिल हो।
उड़ा भी दो सारी रंजिशें इन हवाओं में यारों।
छोटी सी जिंदगी है नफरत कबतक करोगे।
घमंड न करना जिंदगी में तक़दीर बदलती रहती है।
शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है।
My name is Chudail, anything else?? :-/