पौष्टिक भोजन के विषय में शिक्षक और छात्र के बीच में संवाद लेखन संस्कृत में लिखिए
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पौष्टिक भोजन के विषय में शिक्षक और छात्र के बीच में संवाद लेखन संस्कृत में लिखिए
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Answer:
महिला - दो किलो कूष्माण्ड एक किलो गाजर आधा किलो मिर्चा दे दो। बैगन भी एक किलो। भिण्डिया नष्ट हो गईं। अच्छी नहीं आईं क्या?
आपणिकः - उत्तमानि विण्डीकानि स्यूते एव सन्ति। आवश्यकम् किम्?
दुकानदार - उत्तम भिण्डी झोले में ही है। आवश्यक है क्या?
महिला - किलो मात्रपरिमितं ददातु। आहत्य कतिरूप्यकाणि इति वदतु। शीघ्रं गन्तत्यम्।
महिला - किलो मात्र दे दो। जोड़कर कितने रूपये हुये बताओ। मुझे जल्दी जाना है।
आपणिकः - आहत्य पञ्चसप्ततिरुप्यकाणि कारवेल्लं मास्तु वा?
दुकानदार - जोड़कर पचहत्तर रूपये हुये। करेला नहीं चाहिये?
महिला - कटु इत्यतः कारवेल्लं मम गृहे न खादन्ति। पर्याप्तम्। अस्मिन् स्यूते सर्वाणि वस्तूनि स्थापयतु। धनं स्वीकरोतु।
महिला - कड़वा होता है अतः मेरे घर में करेला नहीं खाते हैं। पूरा हुआ। इस झोले में सभी वस्तुएँ दो। पैसे लो।
आपणिक - परिवर्तः नास्ति किम्? अस्तु स्वीकरोतु।
दुकानदार - अच्छा बदलना तो नहीं है? अच्छा स्वीकार करो।
संस्कृत कक्षा
आचार्यः - एषः कः?
आचार्य - यह कौन है?
शिष्य - एषः कुम्भकारः।
शिष्य - यह कुम्भकार है।
आचार्यः - एषः किं करोति?
आचार्य - यह क्या करता है?
शिष्यः - सः घटं करोति।
शिष्य - वह घट बनाता है।
आचार्यः - सः कीदृशं घटं करोति?
आचार्य - वह किस प्रकार घट बनाता है?
शिष्यः - सः स्थूलं घटं करोति।
शिष्य - वह मोटा घटा बनाता है।
आचार्यः - सः कया घटं करोति?
आचार्य - वह किससे घट बनाता है?
शिष्यः - सः मृतिकया घटं करोति।
शिष्य - वह मिट्टी से घट बनाता है।
आचार्यः - एतौ कौ?
आचार्य - ये कौन?
शिष्यः - एतौ तन्तुवाहौ।
शिष्यः - ये दोनों जुलाहा हैं।
आचार्यः - एतौ किं कुरूतः?
आचार्य - ये दोनों क्या करते हैं?
शिष्यः - एतौ वस्त्राणि वयतः।
शिष्यः - ये दोनों वस्त्र बनाते हैं।
आचार्यः - तौ कीदृशानि वस्त्राणि वयतः?
आचार्य - ये दोनों किस प्रकार वस्त्र बनाते हैं?
शिष्यः - तौ अमूल्यानि वस्त्राणि वयतः।
शिष्य - ये अमूल्य वस्त्र बनाते हैं।
आचार्यः - तव कानि वस्त्राणि प्रियाणि?
आचार्य - तुम्हे कौन से वस्त्र प्रिय हैं?
शिष्यः - कर्पासीयानि वस्त्राणि मम प्रियाणि। मम मित्रस्य और्ण वस्त्रं प्रियम्।
शिष्य - सूती कपड़े मुझे प्रिय है। मुझे ऊनी वस्त्र प्रिय है।
आचार्यः - एते के?
आचार्य - ये कौन हैं?
शिष्यः - एते चित्रकाराः।
शिष्य - ये चित्रकार है।
आचार्यः - एते किं कुर्वन्ति?
आचार्य - ये क्या करते हैं?
शिष्यः - एते सुन्दराणि चित्राणि लिखन्ति।
शिष्य - ये सुन्दर चित्र लिखते हैं।
आचार्यः - ते के?
आचार्य - वे कौन हैं?
शिष्यः - ते हरिणाः।
शिष्य - वे हिरण हैं।
आचार्यः - ते किं कुर्वन्ति?
आचार्य - वे क्या करते हैं?
शिष्यः - ते हरितानि तृणानि खादन्ति।
शिष्य - वे हरी घास खाते हैं।
आचार्यः - त्वं कि करोषि?
आचार्य - तुम क्या करते हो?
शिष्यः - अहं साहित्यं पठामि।
शिष्य - मैं साहित्य पढ़ता हूँ।
आचार्यः - युवां किं कुरूथ?
आचार्य - तुम दोनों क्या करते हो?
शिष्यः - आवां गीतं गायावः।
शिष्य - हम दोनों गीत गा रहे हैं।
आचार्य - यूयम् अद्य पठितान् शब्दान् स्मप्त।
आचार्य - तुम सब आज पढ़े हुये शब्द का स्मरण करो।
शिष्याः - तथैव श्रीमन।
शिष्यः - जैसा आप कहें।
शिक्षक एवं छात्र के बीच संवाद
पौष्टिकं आहारं स्वास्थ्यस्य महत्त्वपूर्णं आधारशिला अस्ति। अतः शरीर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की उचित मात्रा में आपूर्ति करना चाहिए। पोषक तत्वों की अतिरिक्तता एवं कमी – दोनों समान रूप से हानिकारक होते हैं तथा व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। एवं च अस्य विषयस्य प्रभावीरूपेण सम्बोधनं कृत्वा समुदायं सुस्वास्थ्यस्य इष्टतमपोषणस्य च महत्त्वं प्रति जागरूकं कर्तुं अत्यन्तं महत्त्वपूर्णम् अस्ति। उत्तमपोषणं, नियमितशारीरिकक्रियाशीलता, पर्याप्तनिद्रा च स्वस्थजीवनस्य अत्यावश्यकाः नियमाः सन्ति । सम्पूर्णे राष्ट्रे इष्टतमपोषणस्य अवधारणां प्रवर्तयितुं समग्रदृष्टिकोणस्य आवश्यकता वर्तते।
कुपोषणस्य, सूक्ष्मपोषकद्रव्याणां न्यूनतायाः, मोटापस्य, आहारस्य असंक्रामकरोगाणां च समस्याः विश्वे निरन्तरं वर्धमानाः सन्ति। ऊर्जा/पोषण-असन्तुलनस्य परिणामः मानवीय-क्षमतायाः बहुपक्षीय-हानिः भवितुम् अर्हति, यस्य शारीरिक-संज्ञानात्मक-विकासः, रोग-मृत्युः च प्रतिकूल-प्रभावः भवति, तथा च सामाजिक-/आर्थिक-विकासः प्रभावितः भवितुम् अर्हति |
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