मनुष्य का मनुष्य है पशु पक्षी है जहां जन्म लेते हैं अपने उस देश को प्रेम करते हैं जंगल में पैदा हुए किसी जानवर को अपने निर्णय में बंद कर सकते हैं उसे लाखाराम बचाने की कोशिश कर सकते हैं पर वह सुखी नहीं हो सकता उसे तो आपने जंगल का देश ही प्यारा लगता है उसी तरह मुक्त आकाश में उड़ने वाले पक्षी को बिजली में बंद करके सब तरह का सुख पहुंचाना चाहे तो भी वह कदापि सुखी नहीं हो सकता उसका देश खुला आकाश पेड़ों की शाखाएं और घोंसला है वहां अवधू वर्षों के कष्ट सहकर भी सुखी रह सकता है इस गधयखंड में हमें क्या सीख मिलती है
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इस गद्यांश से हमें यह सीख मिलती है कि हमें पशु पक्षियों को पिंजरे में बंद नहीं करना चाहिए वह जंगल में आजाद रहना पसंद करते हैं और उन्हें वही खुशी मिलती है।