बेहतर भारत बनाने के लिए महिलाओं और जनता का उत्थान
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बेहतर भारत बनाने के लिए महिलाओं और जनता का उत्थान
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Answer:
राष्ट्र तभी सशक्त बन सकता है, जब उसका हर नागरिक सशक्त हो। इसमें भी महिलाओं की भूमिका ही सबसे आगे है। परिवार में एक मां के रूप में वह अपनी यह भूमिका अदा करती है। राष्ट्र निर्माण में उसके इस योगदान का लंबा इतिहास रहा है। विद्वानों का मानना है कि प्राचीन भारत में महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा हासिल था।
पतंजलि और कात्यायन जैसे प्राचीन भारतीय व्याकरणविदों का कहना है कि प्रारंभिक वैदिक काल में महिलाओं को शिक्षा दी जाती थी। ऋग्वेदिक ऋचाएं ये बताती हैं कि महिलाओं की शादी एक परिपक्व उम्र में होती थी और संभवत: उन्हें अपना पति चुनने की भी आजादी थी। ऋग्वेद और उपनिषद जैसे ग्रंथ कई महिला साध्वियों और संतों के बारे में बताते हैं जिनमें गार्गी और मैत्रेयी के नाम उल्लेखनीय हैं।
समाज में भारतीय महिलाओं की स्थिति में मध्ययुगीन काल के दौरान और अधिक गिरावट आई, जब भारत के कुछ समुदायों में सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा पुनर्विवाह पर रोक सामाजिक जिंदगी का एक हिस्सा बन गई थी। स्वतंत्रता के बाद से ही महिलाओं का विकास हमारी आयोजना का केंद्रीय विषय रहा है, परंतु पिछले 20 वर्षों में कई नीतिगत बदलाव आए हैं।
1.महिलाओं को देश के सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक जीवन में बराबर की भागीदार बनाना।
2.मानव अधिकारों का उपयोग करना और पुरुषों के साथ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और नागरिक आदि क्षेत्रों में आधारभूत, स्वतंत्रता की समान रूप से भागीदारी सुनिश्चित करना।
3. महिलाओं के प्रति किसी भी तरह के भेदभाव को दूर करने के लिए कानूनी प्रणाली एवं सामुदायिक प्रक्रिया विकसित करना।
4. महिलाओं के लिए ऐसा वातावरण तैयार करना कि वे यह महसूस कर सकें कि वे आर्थिक एवं सामाजिक नीतियां बनाने में शामिल हों।
5. समाज में महिलाओं के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने के लिए महिलाओं और पुरुषों को समाज में बराबर भागीदारी निभाने को बढ़ावा देना।
6. महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं सामाजिक सुरक्षा में सहभागिता सुनिश्चित करना।
7. महिला और बालिका अपराध के किसी भी रूप में व्याप्त असमानता को दूर करना।
हमारे देश के विकास में महिलाओं को सहभागी बनाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। भारतीय संविधान द्वारा कानूनों के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा और सामान्य जीवन में उनकी समान भागीदारी के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। महिला साक्षरता दर भी 2011 के आंकड़ों के अनुसार लगभग 65 प्रतिशत बढ़ी है और वे देश में शीर्ष पदों पर कार्य कर रही हैं।