लिखिए।
तन से, मन से, वचन से, करा सदा सत्कर्म ।
सब धमाँ का सार है, यही है मानव-धर्म।
कपट, क्रोध, छल, लोम से रहित प्रेम व्यवहार
सबसे मिल-जुलकर रहो, सकल विश्व-परिवार
कर्म वहीं जिनसे मिले, सदा जगत में मान ।
जिनकी सब निंदा करें, उन्हें त्याज्य ही जान ।
विद्या-धन अदभुत बहुत, खर्च करो बढ़ जाए ।
इस धन का धनवान तो, कीर्ति-शिखर चढ़ जाए
समय बहुत अनमोल है, करी समय का ध्यान ।
हाथ गए फिर ना मिले. निकले तीर समान ।।
उद्यम ऐसा मीत है, प्रीत की रीत निभाए ।
कठिन असंभव काम को, संभव कर दिखलाए ।।
शिष्ट आचरण जो करे, करे प्रेम व्यवहार ।
बैरी को अपना करे, उसका सद्व्यवहार ।।
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3.
कवि ने समय का ध्यान रखने की बात क्यों की है ?
संसार में मान व यश कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
विद्या रूपी धन को बाँटने से क्या लाम है?
कवि ने किन चीजों का त्याग करने के लिए कहा है ?
'अद्भुत' एवं 'आचरण' शब्दों के अर्थ लिखिए ।
PLEASE ANSWER THE QUESTIONS ^_^
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Answer:
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