essay on Indian farmer in Hindi
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भारत गांवों का देश है । भारत की आत्मा गांवों और किसानों में बसती है । इसलिए भारत एक कृषि प्रधान देश भी कहलता है । यहां की 70-80 प्रतिशत जनता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है । किसान हमारे लिए अन्न, फल, सब्दिया आदि उपजाता है ।
वह पशुपालन भी करता है । लेकिन भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है । स्वतंत्रता के 50 से अधिक वर्षो के बाद भी वह गरीब, अशिक्षित और शक्तिहीन है । उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता है । उसके परिवार के सदस्य भी दिन-रात खेत-खलिहान में जुटे रहते हैं । बड़ी कठिनाई से वह अपना और अपने बाल-बच्चों का पेट भर पाता है ।
अभी भी उसके पास वही बरसों पुराने खेती के साधन हैं ।उसे बहुत कुछ मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है । अगर समय पर अच्छी बरसात नहीं होती, तो उसके खेत सूखे पड़े रहते हैं । गांव में अकाल पड़ जाता है, और भूखों मरने की नौबत आ जाती है । वह अपने हाथों से कठोर परिश्रम करता है, खून-पसीना बहाता है, फिर भी वह गरीब और परवश है ।
उसकी आय इतनी कम होती है कि वह अच्छे बीच, खाद, औजार और पशु नहीं खरीद पाता । वह अशिक्षित है, और कई अंधविश्वासों और कुरुतियों का शिकार । सेठ-साहूकार इसका पूरा लाभ उठाकर उसका शोषण कर रहे हैं । वह अपनी संतान को पड़ाने के लिए भी नहीं भेज सकता । या तो गांव में स्कूल नहीं होता, या फिर बहुत दूर होता है ।
इसके अतिरिक्त वह बच्चों से खेत पर काम लेने के लिए विवश है । वह उन्हें पशु चराने जंगल में भेज देता है । सरकार ने भारतीय किसान की सहायता के लिए कुछ कदम उठायें हैं । उसे कम ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था की गई है जिससे वह बीज, खाद आदि क्रय कर सके । परन्तु यह पर्याप्त नहीं है । सच तो यह है कि उस तक सहायता पहुंच नहीं पाती । बिचौलिये बीच में ही उसे हड़प लेते हैं ।
अशिक्षित होने के कारण वह अपने, अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं । दूसरे लोग सरलता से उसके आधिकारों का हनन कर लेते हैं । उसे शिक्षित किया जाना बहुत आवश्यक है । इसके लिए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य, मुफ्त और सर्वसुलभ बनाने की परम आवश्यकता है । हर गांव में उसके पास स्कूल खोले जाने चाहिये ।
स्कूलों में कर्मठ, ईमानदार और प्रशिक्षित अध्यापक लगाये जाने चाहिये । किसानों को कुए खुदवाने, बीच आदि खरीदने के लिए ऋण सुलभ होना चाहिये । वर्ष के बहुत समय वह निठल्ला बैठा रहता है । यह समय उसकी शिक्षा
जब तक भारतीय किसान निर्धन और अशिक्षित है, तब तक देश की उन्नति नहीं कर सकता । हर तरह से उसकी सहायता कर उसको स्वावलम्बी और शिक्षित बनाया जाना चाहिये । कोई ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि वह कभी बेकार न बैठे और खेत खाली नहीं रहे । इसके लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था बहुत आवश्यक है ।
अधिकतर भारत के किसान खेतीहर मजदूर हैं, या उनके पास बहुत थोड़ी जमीन होती है । कई बार वह जमीन भी अनुपजाऊ होती है । प्राय: सिंचाई के साधन का अभाव रहता है । वह जो कुछ उपजाता है, उसका उचित मूल्य नहीं मिलता । कई बार उसकी फलस बिकती नहीं और पड़ी-पड़ी सड़ जाती है ।
हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हमें ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा दिया था । यह हमारे किसानों के महत्व को रेखांकित करता है । परन्तु अभी भी उनकी हालत बड़ी दयनीय है । उनकी इस दशा को सुधारने के हर संभव प्रयत्न किये जाने चाहिये । उनकी उन्नति और विकास पर ही देश की समृद्धि टिकी है ।