एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
Share
एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
Sign Up to our social questions and Answers Engine to ask questions, answer people’s questions, and connect with other people.
Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people’s questions & connect with other people.
Verified answer
Answer:
एवरेस्ट की सर्वोच्च चोटी पर चढ़ना एक महान अभियान है। इसमें पग-पग पर जान जाने का खतरा होता है। अतः यदि ऐसा कठिन कार्य करते हुए मृत्यु भी हो जाए, तो उसे सहज घटना के रूप में लेना चाहिए। बहुत हाय-तौबा नहीं मचानी चाहिए।
Explanation:
Explanation:
एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए। आशय - यह शब्द कर्नल खुल्लर ने अभियान दल के सदस्यों को कहे थे। जिनका आशय था कि एवरेस्ट पर पहुँचना एक महान अभियान है जिसमें खतरे तो रहते ही हैं। कभी-कभी किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है।