निरापद सहिष्णुता से क्या अभिप्राय है
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सहिष्णुता का अनुपम उदाहरण :-
गांधीजी दक्षिण अफ्रीका प्रवास पर थे। एक बार वहां रेल से उतरने के बाद उन्होंने एक तांगा किया। तांगे में कुछ गोरे अंग्रेज व कुछ काले (भारतीय व अफ्रीकन नागरिक) बैठे थे। अंग्रेजों की भेदभाव-नीति यह थी कि वे अपने साथ काले लोगों का बैठना-खाना-पीना पसंद नहीं करते थे, तब भारत व अफ्रीकन देश गुलाम थे।
तांगे में जगह न मिलने पर गांधीजी उसमें रखे बॉक्स (पेटी) पर बैठ गए। यह बात अंग्रेजों को नागवार गुजरी और उनमें से एक अंग्रेज ने महात्मा गांधी को पीटना शुरू कर दिया। गांधीजी काफी देर तक मार खाते रहे, तब दूसरे अंग्रेजों में इंसानियत जागी और उन्होंने गांधीजी को पिटने से बचाया। उन्होंने अंग्रेजों का कोई प्रतिरोध नहीं किया व उन्हें क्षमा कर दिया था। यह गांधीजी की सहनशीलता का अनुपम उदाहरण है।
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सहिष्णुता यानी सहनशीलता। सहिष्णु व्यक्ति को सभी पसंद करते हैं। असहिष्णु को कोई भी पसंद नहीं करता है। सहिष्णु बनना कठिन जरूर है, पर असंभव नहीं। किसी भी प्रकार की तनातनी होने पर हमें चाहिए कि हम सहिष्णुता का परिचय दें। इससे बात नहीं बढ़ेगी तथा वातावरण सामान्य बना रहेगा।
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मानस की शुरुआत ही शिव वंदना से हुई है (भवानी शंकरो वन्दे श्रद्धा विश्वास रूपिणो …….)। इसके अतिरिक्त राम को शिववंदना करते दिखाया गया है और शिव को राम की। अंतरपंथीय सहिष्णुता अब आवश्यकता बन चुकी थी।
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जिस तरह से कट्टरता बढ़ रही है, उससे तो यही लगता है कि आनेवाले समय में सहिष्णुता का भविष्य उज्जवल है। ठीक उसी तरह, जिस तरह गाँधी ने नाभिकीय हमले के बाद कहा था कि अहिंसा पर उनका विश्वास और बढ़ गया है।
Answer:
nirapad dahansilata ka arth hai atyathik sahansilata