hey guys please answer
tell me the example of the following रस
वियोग श्रृंगार रस
शांत रस
वात्सल्य रस
वीभत्स रस
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शांत रस
वात्सल्य रस
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Explanation:
श्रंगार
सुखद मौसम, आभूषण , सुख की अनुभूति, सुन्दरता आदि देखने या सुनने से संयोग श्रृंगार उत्पन्न होता है। जैसे –
देखि रूप लोचन ललचाने, हरखे जनु निज निधि पहचाने।
थके नयन रघुपति – देखी, पलकन हू परहरी निरेखी।।
भगवान श्रीराम को देखकर सीता के प्रेम का वर्णन है।
वियोग श्रृंगार
नायक और नायिका के बीच जुदाई मे प्यार को वियोग श्रृंगार कहते है। जैसे –
अति मली बृएभानु-कुमारी
अघ-मुख रहित, उरघ नहिं चितवति,
ज्यों गथ हारेथकित जुआरी।
छूटे चिकुर, बदन कुम्हलानी,
ज्यों नलिनी हिमकर की मारी।।
राधा और कृष्ण के प्यार का वर्णन है।
2. हास्य रस
इसका स्थायी भाव हास है। जब काव्य मे कहीं पर हसने या हसाने का प्रयास होता है , तो वहाँ हास्य होता है। जैसे –
जेहिं दिसि नारद बैठे फूली,
सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।
पुनिपुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं ।
देखि दसा हर-गनमुसकाहीं।।
3. करूण रस
इसका स्थायी भाव शोक है। इसमे धन की हानि, प्राण घात, कारावास आदि अन्य भाव होते है। इसमे विलाप होता है।
जैसे-
सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण का व्याकुल होना-
देखि सुदामा की दीन दसा, करूणा करिकै करूणानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैननि के जल सों पग धोये ।।
4. वीर रस
इसका स्थायी भाव उत्साह है।इसमेंं नायक के पराक्रम, प्रताप, वीरता, शौर्य आदि का वर्णन होता है। जैसे-
फड़क रहे थे अति प्रचण्ड भुज-दण्ड शत्रु-मर्दन को विह्वल।
ग्राम ग्राम से निकल -निकलकर ऐसे युवक चले दल-के-दल।
5. रौद्र रस
रौद्र का स्थायी भाव क्रोध है। यह मूल रूप से राक्षसी या शरारती प्रवृत्ति है। जैसे-
मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ।
6.भयानक रस
इसका स्थायी भाव भय होता है। इसमे भयानक आवाजो से, भूत-प्रेत, किसी प्रिय की मृत्यु आदि के द्वारा होता है। जैसे-
समस्त सर्पो सँग श्याम ज्यों कढे़ ,
कलिंद की नन्दिनि के सुु-अंक से।
खडे़ किनारे जितने मनुष्य थे,
सभी महा शंकित भीत हो उठे।।
7. वीभत्स रस
वीभत्स का स्थायी भाव जुगुत्सा है। यह अप्रिय, दूषित, प्रतिकूल आदि के कारण उत्पन्न है।
जैसे- पै बैठ्यौ काग, आँख दोउ खात निकारत ।
खैंचत जोभहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत ।।
8. अद्भुत
अद्भुत का स्थायी भाव विस्मय होता है। इसमे विस्मय, हर्ष आदि तत्वो होते है। जैसे-
अखिल भुवन चर-अचर जग हरिमुख में लखि मातु।
चकित भयी, गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु।।
9.शान्त रस
इसका स्थायी भाव निर्वेद होता है । इस भाव द्वारा हर उस तत्व से मुक्ति दिलाता है जो हमे दुःख प्रदान करता है। यह रस योगियो से बना है।
जैसे- समता लहि सीतल भया, मिटी मोह की ताप।
निसि-वासर सुख निधि लह्या, अंतर प्रगट्या आप।।
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HAPPY DAUGHTERS DAY
[tex][tex]\mathbb\color{red}{MAKE} \color{blue}{ME}\color{Green} BRAINLIST[/tex][/tex]